ग्लेडियोलस फूलों की मांग देश ही नहीं विदेशों में भी होती है। लंबे तलवार जैसे पत्तों वाले इस पौधों के फूल अक्टूबर से मार्च के महीने में खिलते हैं। इसके फूल गुलाबी , लाल, सफेद, नारंगी, पीला, जामुनी आदि कई रंगों के होते हैं। हमारे देश में इसकी खेती मुख्य रूप से पंजाब , हरियाणा, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में की जाती है। इसकी खेती से पहले कुछ जानकारियों से अवगत होना आवश्यक है।
मिट्टी एवं जलवायु
इसकी खेती के लिए उपजाऊ दोमट मिट्टी सर्वोत्तम है।
चिकनी मिट्टी में खेती करने पर अधिक खाद की आवश्यकता होती है।
इसकी खेती के लिए सर्दियों का मौसम उपयुक्त है।
पहाड़ी क्षेत्रों में पूरे वर्ष इसकी खेती की जा सकती है।
फूलों के खिलने के लिए सूर्य की रौशनी आवश्यक है। इससे फूलों की संख्या बढ़ती है।
अच्छे उत्पादन के लिए मिट्टी का पी.एच स्तर 5.5 से 7.0 के बीच होना चाहिए।
खेत की तैयारी
अच्छी पैदावार के लिए 2 से 3 बार करीब 30 से 40 सेंटीमीटर गहरी जुताई करें।
जुताई के समय खेत में सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं।
जुताई के बाद खेत में क्यारियां बना लें।
सभी क्यारियों के बीच 30 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
यदि ड्रिप से सिंचाई की व्यवस्था है तो क्यारियों को 1 मीटर चौड़ी और जमीन की सतह से 15 से 25 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर बनाएं।
कंद की रोपाई एवं सिंचाई
रोपाई से पहले प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम कैप्टान मिला कर घनकंदों को उपचारित करें।
घनकंदों की बुवाई 15 सेंटीमीटर की दूरी पर करें। 1 मीटर चौड़ी क्यारियों में 2 पक्तियों में रोपाई करें।
पक्तियों के बीच 20 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए।
खेत में क्यारियां बनाते समय हल्की सिंचाई करें। इससे रोपाई के बाद जड़ों का जमाव अच्छा होता है।
घनकन्द से पौधे निकलने पर पहली सिंचाई करें।
अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी में नमी की कमी न होने दें।
कटाई के बाद जब पत्तियां पीली होने लगे तब सिंचाई बंद कर दें। इससे घनकंद की खुदाई में आसानी होती है।
खाद-उर्वरक एवं खरपतवार नियंत्रण
प्रति एकड़ खेत में 12 से 15 टन सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग करें।
खेत में मिट्टी के परीक्षण के अनुसार खाद का उपयोग करने से पैदावार बढ़ती है।
सामान्य तौर पर प्रति एकड़ खेत में 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फॉस्फोरस और 100 किलोग्राम पोटाश मिलाएं।
पत्ते निकलने पर खेत में 50 किलोग्राम नाइट्रोजन का छिड़काव करें।
खरपतवार से नियंत्रण के लिए रोपाई से 2 सप्ताह पहले प्रति लीटर पानी में 5 मिलीलीटर ग्लाइफोसेट का छिड़काव करें।
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