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गेंहू: पहली सिंचाई के समय उर्वरक प्रबंधन
Author : Surendra Kumar Chaudhari

उर्वरक एवं सिंचाई के महत्व से तो हम सभी वाकिफ हैं। लेकिन आप जानते हैं सिंचाई एवं उर्वरक का प्रयोग करने का सही समय क्या है? यदि नहीं जानते तो यहां से आप गेहूं की फसल में पहली सिंचाई के समय उर्वरक प्रबंधन की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यहां बताई जाने वाली बातों को ध्यान में रख कर आप गेहूं की उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त कर सकते हैं।
कब करें पहली सिंचाई?
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गेहूं की बुवाई के करीब 20 से 25 दिनों बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए।
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पहली सिंचाई के समय जिंक की कमी के लक्षण नजर आने पर इसकी पूर्ति करना आवश्यक है।
क्या है जिंक की कमी के लक्षण?
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जिंक की कमी होने पर पौधों की वृद्धि में बाधा आती है। स्वस्थ पौधों की तुलना में जिंक की कमी वाले पौधे बौने रह जाते हैं।
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निचली पत्तियां पीली होने लगती हैं।
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समय रहते जिंक की पूर्ति नहीं की गई तो पत्तियों पर कत्थई रंग के धब्बे उभरने लगते हैं।
कैसे करें जिंक की आपूर्ति?
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खड़ी फसल में जिंक की कमी के लक्षण नजर आने पर प्रति एकड़ जमीन में 2 किलोग्राम जिंक और 6 किलोग्राम यूरिया को 320 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।
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यदि यूरिया की टापड्रेसिंग पहले हो गई है तो यूरिया की जगह 1 किलोग्राम बुझे हुए चूने का पानी प्रयोग करें।
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गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए पहली सिंचाई के 5-6 दिनों बाद निराई-गुड़ाई के समय प्रति एकड़ खेत में 4 किलोग्राम देहात स्टार्टर का छिड़काव करें।
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गेहूं की फसल में विभिन्न खरपतवारों पर नियंत्रण की जानकारी यहां से प्राप्त करें।
यदि आपको यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसान इसका लाभ उठा कर गेहूं की अच्छी फसल प्राप्त कर सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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18 December 2020
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