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गेंदा फूल की वैज्ञानिक खेती
Author : Surendra Kumar Chaudhari
फूलों में गेंदा का एक विशेष स्थान है। गेंदे के फूलों का प्रयोग पूजा अर्चना के साथ ही जन्मदिन, शादी जैसे समारोह और अतिथियों के स्वागत में किया जाता है। इसके अलावा इन दिनों बड़े पैमाने पर इसका उपयोग मुर्गियों के भोजन के तौर पर किया जा रहा है। इससे अंडों की गुणवत्ता बेहतर होने के साथ जर्दी का रंग पीला होता है। गेंदे की खेती से पहले इसकी कुछ बारीकियां जानना बेहद जरूरी है।
मिट्टी एवं जलवायु
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इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी, मटियार दोमट मिट्टी और बलुई दोमट मिट्टी सबसे बेहतर होती है।
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गेंदे की खेती लगभग सभी प्रकार की जलवायु में की जा सकती है।
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इसकी खेती के लिए ठंड, गर्मी और वर्षा सभी मौसम में कर सकते हैं।
खेत की तैयारी
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खेत तैयार करते समय सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से 1-2 बार गहरी जुताई करें।
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इसके बाद 2 से 3 बार देशी हल या कल्टीवेटर से हल्की जुताई करें।
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खेत से कंकड़ - पत्थर आदि बाहर निकाल दें।
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अब खेत में पाटा लगा कर मिट्टी को भुरभुरा बना लें।
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पौधों को लगाने के लिए खेत में क्यारियां बना लें।
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खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
खाद एवं उर्वरक
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खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 80 क्विंटल कम्पोस्ट खाद मिलाएं।
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फूलों की संख्या एवं गुणवत्ता बढ़ने के लिए प्रति एकड़ खेत में 25 किलोग्राम नाइट्रोजन, 24 किलोग्राम फॉस्फोरस और 25 किलोग्राम पोटाश मिलाएं।
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पौधों की रोपाई के 30 से 40 दिनों बाद प्रति एकड़ खेत में 25 किलोग्राम नाइट्रोजन का प्रयोग करें ।
सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण
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ठंड के मौसम में 10 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
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गर्मी के मौसम में 5 से 7 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।
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खेत में निराई - गुड़ाई कर के खरपतवार पर आसानी से नियंत्रण किया जा सकता है।
फूलों की तुड़ाई
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पूरी तरह से खिलने के बाद फूलों की तुड़ाई कर लें।
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फूलों की तुड़ाई सुबह और शाम के समय करनी चाहिए।
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2 September 2020
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