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गेलार्डीया : इस तरह करें खेती, होगी फूलों की अधिक पैदावार
गेलार्डीया : इस तरह करें खेती, होगी फूलों की अधिक पैदावार
इन दिनों किसान पारम्परिक फसलों की जगह फूलों एवं औषधीय पौधों की खेती पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। बाजार में फूलों की मांग बढ़ने के कारण फूलों की खेती करने वाले किसान कुछ ही महीनों में अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। इन फूलों में गेलार्डीया भी शामिल है। इसके फूल बेहद आकर्षक होते हैं। अगर आप भी गेलार्डीया की खेती करना चाहते हैं तो इससे जुड़ी जानकारियों के लिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें। आइए गेलार्डीया की खेती पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
गेलार्डीया की खेती के लिए उपयुक्त समय
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इसकी खेती गर्मी, ठंड एवं वर्षा, सभी मौसम में की जा सकती है।
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गर्मी के मौसम में फूल प्राप्त करने के लिए बीज की बुवाई फरवरी-मार्च महीने में करें।
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वर्षा के मौसम में फूल प्राप्त करने के लिए इसकी बुवाई मई-जून महीने में की जाती है।
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ठंड के मौसम में फूल प्राप्त करने के लिए इसकी बुवाई सितंबर-अक्टूबर महीने में करनी चाहिए।
उपयुक्त मिट्टी एवं जलवायु
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पौधों को विकास के धूप एवं वायु संचार की आवश्यकता होती है।
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इसकी खेती गहरी मिट्टी में करनी चाहिए।
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मिट्टी का पी.एच. स्तर 6 से 8 होना चाहिए।
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मिट्टी की जल धारण करने की क्षमता अच्छी होनी चाहिए।
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खेत तैयार करते समय सबसे पहले 1 बार गहरी जुताई करें।
बीज की मात्रा एवं बीज उपचारित करने की विधि
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प्रति एकड़ भूमि में खेती करने के लिए 200 से 240 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
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बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 3 ग्राम थीरम से उपचारित करना चाहिए।
नर्सरी तैयार करने की विधि
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गेलार्डीया की खेती बीज की रोपाई के द्वारा की जाती है।
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नर्सरी तैयार करने के लिए सबसे पहले सबसे पहले चयनित स्थान में अच्छी तरह जुताई करें।
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जुताई के बाद खेत में भूमि की सतह से 10 से 15 सेंटीमीटर ऊंची क्यारियां तैयार करें।
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क्यारियों की लम्बाई 3 मीटर एवं चौड़ाई 1 मीटर रखें।
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सभी क्यारियों में 30 किलोग्राम वर्मीकम्पोस्ट या गोबर की खाद मिलाएं।
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बीज की बुवाई 3 सेंटीमीटर की दूरी एवं 2 सेंटीमीटर की गहराई में करें।
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बीज की रोपाई के करीब 4 से 6 सप्ताह बाद पौधे मुख्य खेत में रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
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पौधों में 4-5 पत्तियां आने के बाद पौधों को मुख्य खेत में रोपाई के लिए सावधानी से निकालें।
खेत तैयार करने की विधि एवं पौधों की रोपाई
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खेत तैयार करते समय सबसे पहले 3 से 4 बार अच्छी तरह जुताई करें।
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आखिरी जुताई के समय प्रति एकड़ भूमि में 4 टन गोनर की खाद मिलाएं।
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प्रति एकड़ भूमि में 40 किलोग्राम यूरिया, 160 किलोग्राम सुपर फॉस्फेट एवं 40 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश मिलाएं।
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जुताई के बाद खेत में पाटा लगा कर भूमि को समतल बनाएं।
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पौधों की रोपाई के लिए खेत में क्यारियां तैयार करें।
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सभी क्यारियों के बीच 60 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
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पौधे से पौधे की दूरी 45 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
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पौधों की रोपाई के 45 दिनों बाद 40 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव करें।
सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण
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मिट्टी में नमी की कमी नहीं होनी चाहिए।
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खेत में आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करें।
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सिंचाई के समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि खेत में जल जमाव की स्थिति उत्पन्न न हो।
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खरपतवार पर नियंत्रण के लिए आवश्यकता के अनुसार 3 से 4 निराई-गुड़ाई करें।
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निराई-गुड़ाई के बाद पौधों की जड़ों के पार मिट्टी चढ़ाएं। इससे पौधे टूट कर गिरने से बचे रहते हैं।
फूलों की तुड़ाई
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पौधों की रोपाई के करीब 3 से 4 महीने बाद फूल आने शुरू हो जाते हैं।
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हर 4 दिनों के अंतराल पर फूलों की तुड़ाई करें।
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प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 40 से 60 क्विंटल फूल प्राप्त किए जा सकते हैं।
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