पोस्ट विवरण
सुने
गेहूं
कल्पना
कृषि विशेषयज्ञ
2 year
Follow

गेहूं : ठंड बढ़ने के साथ फसल पर हो रहा पीली कुंगी रोग का प्रकोप, जानें नियंत्रण के तरीके

गेहूं : ठंड बढ़ने के साथ फसल पर हो रहा पीली कुंगी रोग का प्रकोप, जानें नियंत्रण के तरीके

ठंड बढ़ने के साथ गेहूं की फसल में पीली कुंगी रोग का प्रकोप भी होने लगा है। इस रोग के होने पर गेहूं की पैदावार में भारी कमी आती है। इस रोग के काई कारण होते हैं। जिनमे मौसम में बदलाव एक प्रमुख कारण है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम गेहूं की फसल को क्षति पहुंचाने वाले पीली कुंगी रोग पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

पीली कुंगी रोग का कारण

  • भारी वर्षा होने पर इस रोग के होने का खतरा बढ़ जाता है।

  • इसके अलावा पोषक तत्वों की कमी के कारण भी यह रोग होता है।

  • खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था न होने पर भी यह रोग उत्पन्न होता है।

पीली कुंगी रोग के लक्षण

  • इस रोग से प्रभावित पौधों पर पीली लम्बी धारियां उभरने लगती हैं।

  • पत्तियों को हाथ लगाने पर हाथ में पीले रंग का पाउडर लग जाता है।

  • धीरे-धीरे यह रोग पत्तियों से पूरे पौधों में फैलने लगता है।

  • रोग बढ़ने पर दानें पतले हो जाते हैं।

पीली कुंगी रोग पर नियंत्रण के तरीके

  • इस रोग पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ भूमि में 200 लीटर पानी में 200 ग्राम टैबूकोनाजोल 25 डब्ल्यू-जी मिला कर छिड़काव करें।

  • इसके अलावा 200 मिलीलीटर एजोकसीसट्रोबिन के साथ 200 मिलीलीटर प्रोपिकोनाजोल 25 ईसी मिला कर भी छिड़काव कर सकते हैं।

  • आवश्यकता होने पर 15 दिनों के अंतराल पर दोबारा छिड़काव करें।

यह भी पढ़ें :

हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसान मित्र इस जानकारी का लाभ उठाते हुए गेहूं की फसल को इस घातक रोग से बचा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें। पशु पालन एवं कृषि संबंधी जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।

20 Likes
1 Comment
Like
Comment
Share
फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ

फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ