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गेहूं : फसल में पीला रतुआ रोग पर नियंत्रण के उपाय
गेहूं : फसल में पीला रतुआ रोग पर नियंत्रण के उपाय
गेहूं की फसल में लगने वाले कई रोगों में पीला रतुआ रोग भी शामिल है। हालांकि कई बार सही जानकारी नहीं होने के कारण किसान इस रोग को जिंक की कमी समझते हुए आवश्यकता अनुसार जिंक सल्फेट का छिड़काव करते हैं। जिससे पीला रतुआ रोग नियंत्रित नहीं होता और किसानों का भारी नुकसान हो जाता है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम पीला रतुआ रोग से होने वाले नुकसान एवं इस पर नियंत्रण के तरीकों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
पीला रतुआ रोग से होने वाले नुकसान
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गेहूं की पत्तियों पर पीले रंग की धारियां उभरने लगती हैं।
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रोग बढ़ने पर तने एवं बालियों पर भी पीली धारियां नजर आने लगती हैं।
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इन पीली धारियों को छूने पर हाथ में पीले रंग का पदार्थ लग जाता है।
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बालियों एवं पत्तियों को हिलाने से भूमि की सतह पर पीले रंग के पाउडर की तरह पदार्थ नजर आने लगता है।
पीला रतुआ रोग पर नियंत्रण के तरीके
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जैविक उपचार के लिए सबसे पहले गौमूत्र एवं नीम के तेल को मिला कर मिश्रण तैयार करें। इसके बाद 15 लीटर पानी में 500 मिलीलीटर मिश्रण मिला कर छिड़काव करें।
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रासायनिक उपचार के तौर पर प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर प्रोपीकॉनाजोल 25 प्रतिशत ईसी मिला कर छिड़काव करें।
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आवश्यकता होने पर 15 दिनों के बाद दोबारा छिड़काव करें।
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