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गेहूं
डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
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गेहूं की फसल में करें यह काम, होगा खरपतवारों का काम तमाम

गेहूं की फसल में करें यह काम, होगा खरपतवारों का काम तमाम

आप सभी किसान खेत में फसल के साथ उगने वाली और खरपतवार कही जाने वाली अनचाही घास से भली भांति परिचित होंगे। यह घास जुताई के उपरांत खाली खेतों या अधिकतम फसल बुवाई के बाद बीज अंकुरण से पहले ही खेत में देखी जा सकती है, जो अंकुरित बीज या अंकुरण से पहले बीज के लिए एक बड़ा खतरा बनकर सामने आती है। खेत में उग रहे ये खरपतवार अक्सर मिट्टी से तेजी से पोषक तत्वों का अवशोषण कर लेते हैं, जिसका प्रभाव फसल में हो रहे पोषक तत्वों का अभाव के लक्षण के रूप में भली-भांति देखा जा सकता है।

गेहूं की फसल में अक्सर मौसमी खरपतवार अधिक प्रकोप डालते हैं।  खरपतवार की अधिकता निश्चित तापमान पर अधिक देखी जाती है, जिससे बचने के लिए नवंबर के दूसरे माह तक फसल में बुवाई का कार्य सम्पन्न कर लेना चाहिए।

गेहूं की फसल में बथुआ, हिरनखुरी, मोथा घास, वनबटरी, अकरी, जंगली जई, कृष्णनील, आदि खरपतवार मुख्य हैं। ये खरपतवार फसल में संकरी एवं चौड़ी पत्तियों वाले होते हैं, जो इनके नियंत्रण के लिए प्रयोग होने वाले रसायनों की पहचान को आसान बनाता है। इसके अलावा प्री-एमरजेंस और पोस्ट-इमरजेंस के आधार पर भी खरपतवार पहचान एवं नियंत्रण विधि संभव है जिसकी विस्तृत जानकारी आप पोस्ट में आगे देख सकते हैं।

प्री-एमरजेंस विधि- इसका अर्थ है कि फसल में खरपतवार उगने से पहले खरपतवार नाशक का छिड़काव।

पोस्ट - एमरजेंस विधि- खेत में खरपतवार उगने के बाद नियंत्रण के लिए किए जाने वाले सभी कार्य या रासायनिक छिड़काव पोस्ट-इमरजेंस विधि के अंतर्गत आते हैं।

खरपतवार नियंत्रण विधियां

  • यांत्रिक विधि- खरपतवार नियंत्रण में यांत्रिक विधि एक महंगी लेकिन बहुत कम समय में पूर्ण की जाने वाली विधियों में एक मानी जाती है। इस विधि के अंतर्गत अलग-अलग प्रकार के खरपतवार नाशक यंत्र का प्रयोग किया जाता है।

  • मानवीय विधि- हाथ या कुदाल की सहायता से पूर्ण की जाने वाली यह विधि अधिक श्रम और अधिक समय लेने वाली विधियों में से एक है।

  • रासायनिक विधि- रासायनिक विधि सामान्य तौर पर सबसे अधिक प्रयोग की जाने वाली विधियों में से एक है। इसके अंतर्गत रासायनिक खरपतवारनाशी का प्रयोग किया जाना मुख्य है।

गेहूं में खरपतवार नियंत्रण

  • खरपतवार को निकलने से रोकने के लिए बुवाई से पहले प्रति एकड़ खेत में 400 ग्राम पेंडिमेथालिन मिलाएं।

  • बुवाई से पहले पेंडिमेथालिन नहीं मिलाया गया है तो बुवाई के 3 दिनों के अंदर प्रति एकड़ खेत में 400 ग्राम पेंडिमेथालिन का छिड़काव करें।

  • प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर स्टाम्प मिलाकर छिड़काव करने से भी खरपतवार पर नियंत्रण होता है।

  • बुवाई के करीब 1 महीने बाद खेत में सल्फोसल्फ्यूरॉन का छिड़काव करें।

बरतें सावधानियां

  • खरपतवार नाशक के प्रयोग से पहले मिट्टी में नमी बनी रहनी चाहिए।

  • पोस्ट-इमरजेंस में खरपतवारनाशी का प्रयोग तब करें जब खरपतवार में 2 से 3 पत्तियां निकल गई हो।

  • मौसम साफ होने पर फ्लैट फेन/ फ्लड जेट नोजल से छिडक़ाव करें।

  • रसायनों का प्रयोग सही मात्रा में और सही जानकारी पर ही करें।

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