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गेहूं
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
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गेहूं : जैविक विधि से बीज उपचारित करने की विधि

गेहूं : जैविक विधि से बीज उपचारित करने की विधि

गेहूं के पौधों को मिट्टी से होने वाले घातक रोगों एवं विभिन्न फफूंद जनित रोगों से बचाने के लिए बुवाई से बीज उपचारित करना आवश्यक है। इसके साथ ही दीमक, सूत्रकृमि, आदि कीटों से बचाने के लिए भी बीज उपचारित करना जरूरी है। इन दिनों बाजार में मिलने वाले ज्यादातर बीज पहले से उपचारित होते हैं। लेकिन यदि बीज पहले से उपचारित नहीं है तो बुवाई से पहले बीज शोधन की प्रक्रिया जरूर अपनाएं। बाजार में कई तरह की दवाएं उपलब्ध हैं। लेकिन इन दवाओं कई हानिकारक रसायन मौजूद होते हैं। जिसके लगातार प्रयोग से मिट्टी की उर्वरक क्षमता पर विपरीत असर होता है। ऐसे में जैविक विधि से गेहूं के बीज उपचारित करना एक बेहतर विकल्प है। आइए जैविक विधि से बीज उपचारित करने के तरीकों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

जैविक विधि से कैसे करें गेहूं के बीज का उपचार

  • बीजामृत से बीज का उपचार : जैविक विधि से बीज उपचारित करने के लिए बीजामृत का प्रयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में 50 ग्राम गोबर, 50 मिलीलीटर गौ मूत्र, 50 मिलीलीटर गाय का दूध और करीब 2 से 3 ग्राम चूना को 1 लीटर पानी में मिला कर रात भर रख दिया जाता है। अगली सुबह इस मिश्रण से बीज को उपचारित कर सकते हैं।

  • ट्राइकोडर्मा से बीज का उपचार : इस विधि से बीज उपचारित करने के लिए ट्राइकोडर्मा की आवश्यकता होती है। प्रति किलोग्राम बीज को 4 से 6 ग्राम ट्राइकोडर्मा से उपचारित करें।

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