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गेहूं
डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
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गेहूं : बुवाई के विभिन्न तरीके

गेहूं : बुवाई के विभिन्न तरीके

गेहूं की बेहतर पैदावार के लिए सही समय पर बुवाई करना आवश्यक है। बुवाई में देर होने पर पैदावार में भारी कमी आ सकती है। बात करें बुवाई की तो गेहूं की बुवाई कई तरीकों से की जाती है। जिनमें मेड़ पर बुवाई, कतारों में बुवाई एवं जीरो टिलेज विधि से बुवाई शामिल है। आइए गेहूं की बुवाई के विभिन्न तरीकों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

गेहूं की बुवाई के विभिन्न तरीके

  • मेड़ बना कर गेहूं की बुवाई : इस विधि से बुवाई करने के लिए जुताई करने के बाद खेत में मेड़ तैयार किया जाता है। सभी मेड़ों पर 2 या 3 कतारों में बुवाई की जाती है। इस विधि से बुवाई करने पर करीब 25 प्रतिशत तक बीज की बचत होती है। प्रति एकड़ खेत में खेती के लिए 30 से 32 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। इसके साथ मेड़ बना कर बुवाई करने से सिंचाई में भी आसानी होती है।

  • पारम्परिक विधि से गेहूं की बुवाई : इस विधि से बुवाई करने के लिए खेत में मेड़ बनाने की आवश्यकता नहीं होती है। बीज की बुवाई एक कतार यानी लाइन में की जाती है। सभी कतारों के बीच 20 से 25 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए। निश्चित दूरी एवं गहराई को ध्यान में रखते हुए कतार में 2-2 बीज की बुवाई करें।

  • जीरो टिलेज विधि से गेहूं की बुवाई : इस विधि में खेत की जुताई किए बिना बीज की बुवाई की जाती है। बुवाई के लिए जीरो टिलेज मशीन की आवश्यकता होती है। इस विधि से खेती करने पर कल्ले जल्दी निकलते हैं और पौधों में कल्लों की संख्या भी अधिक होती है। इसके साथ ही सिंचाई के समय पानी की बचत होती है और पैदावार में भी वृद्धि होती है। इस विधि से गेहूं की बुवाई करने पर खेत की तैयारी में लगने वाले खर्च एवं समय की बचत होती है।

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