गेंदे के फूल एवं पत्तियों में कई तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसलिए गेंदे के पौधों में रोग एवं कीटों का प्रकोप अन्य फूलों की तुलना में कम होता है। हालांकि फिर भी कुछ ऐसे रोग और कीट हैं जिससे गेंदे के पौधे प्रभावित हो सकते हैं। यदि आप भी कर रहे हैं गेंदे की खेती तो इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें। यहां से आप गेंदे के पौधों में लगने वाले रोग एवं कीटों पर नियंत्रण से तरीकों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आइए इस विषय में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
आर्द्र गलन रोग : इस रोग से मुख्य रूप से नर्सरी के छोटे पौधे प्रभावित होते हैं। इस रोग से प्रभावित पौधों का तना काला हो कर सड़ने लगता है। पौधों को इस रोग से बचाने के लिए बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 3 ग्राम थीरम से उपचारित करें।
चूर्णिल आसिता रोग : इस रोग को पाउडरी मिल्ड्यू के नाम से भी जाना जाता है। इस रोग से प्रभावित पौधों के तनों, पत्तियों और फूलों पर सफेद रंग का पाउडर जैसा परत उभरने लगता है। रोग का प्रकोप बढ़ने पर कलियां खिल नहीं पाती हैं। पौधों को इस रोग से बचाने के लिए 1 मिलीलीटर हेक्साकोनजोल 5 प्रतिशत या 3 ग्राम सल्फर 80 प्रतिशत डबल्यूपी का छिड़काव करें। आवश्यकता होने पर 12 से 15 दिनों के अंतराल पर 2 से 3 बार छिड़काव करें।
सफेद मक्खी : यह कीट पत्तियों का रस चूस कर पौधों को क्षति पहुंचाते हैं। जिससे पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं। कुछ समय बाद पत्तियां लाल होकर गिरने लगती हैं। प्रकोप बढ़ने पर पौधों का विकास रुक जाता है। सफेद मक्खियों के लिए भूमि में 4 से 6 फेरोमोन ट्रैप लगाएं। सफेद मक्खियों से निजात पाने के लिए 150 लीटर पानी में 50 मिलीलीटर देहात हॉक मिलाकर पौधों के ऊपर छिड़काव करें। (यह मात्रा प्रति एकड़ खेत के अनुसार है।)
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