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गैनोडर्मा मशरूम की करें खेती, होगी लाखों में कमाई
गैनोडर्मा मशरूम की करें खेती, होगी लाखों में कमाई
गैनोडर्मा मशरूम कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है। कई देशों में इसका सेवन कमजोरी दूर करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा इसके सेवन से उच्च रक्त चाप एवं एलर्जी जैसे समस्याओं में भी रहत मिलती है। औषधीय महत्व के कारण इस किस्म की मशरूम की मांग बढ़ने लगी है। ऐसे में इसकी खेती करने वाले किसान कम समय में लाखों की कमाई कर सकते हैं। आइए गैनोडर्मा मशरूम की खेती पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
गैनोडर्मा मशरूम की पहचान
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प्राकृतिक तौर पर इस किस्म के मशरूम अधिक नमी वाले घने जंगलों में पाए जाते हैं।
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यह गहरे लाल, भूरे और स्लेटी रंग के होते हैं।
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दिखने में यह चमकदार होते हैं।
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ताजा गैनोडर्मा मशरूम गूदेदार होती है। वहीं सूखने पर यह कड़क हो जाती है।
मिट्टी की तैयारी, बुवाई एवं मशरूम की तुड़ाई
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इसकी खेती के लिए गेहूं का भूसा और लकड़ी का बुरादा को 1:3 के अनुपात में लेना चाहिए।
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इसके बाद 20 घंटों तक गेहूं का भूसा और लकड़ी का बुरादा को अलग-अलग पानी में डाल कर रखें।
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इसके बाद अतिरिक्त पानी को निकाल कर भूसा और बुरादा अच्छी तरह मिलाएं।
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इस मिश्रण को प्लास्टिक के बैग में भर कर रख दिया जाता है।
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प्लास्टिक के बैग में छोटे-छोटे छेद करें।
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नमी बनाए रखने के लिए आवश्यकता के अनुसार पानी का छिड़काव करते रहें।
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सभी बैग में मशरूम के बीज डाल कर बैग को अच्छी तरह बंद कर दिया जाता है।
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बीज के अंकुरण के लिए 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है।
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बुवाई के करीब 5 सप्ताह बाद मशरूम तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
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मशरूम को घुमा कर तोड़ा जाता है।
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लम्बे समय तक भंडारित करने के लिए मशरूम को सूखा कर पाउडर बनाकर रख सकते हैं।
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