गाजर के पौधों में कई तरह के रोग लगते हैं। कुछ ऐसे भी रोग हैं जिनके कारण पत्तों पर दाग-धब्बे नजर आने लगते हैं। अगर आप गाजर की फसल में होने वाले इन रोगों के बारे में नहीं जानते हैं तो यहां से आप विभिन्न रोगों के लक्षण के साथ उन पर नियंत्रण के उपाय भी देख सकते हैं।
अल्टरनेरिया ब्लाइट : इस रोग में पत्तियों पर पीले या भूरे रंग के धब्बे उभरने लगते हैं। इससे बचने के लिए 500 लीटर पानी में 0.2 प्रतिशत कॉपर ऑक्सिक्लोराइड या मैंकोज़ेब मिलाकर छिड़काव करें।
चूर्ण रोग : इस रोग के होने पर पत्तियों पर सफेद रंग के चूर्ण बन जाते हैं। इससे निजात पाने के लिए 10 लीटर पानी में 5 मिलीलीटर कैराथेन मिलाकर छिड़काव करें।
स्क्लेरोटीनिया विगलन : इस रोग से ग्रसित पौधों की पत्तियों पर सूखे धब्बे उभरने लगते हैं। रोग बढ़ने पर पत्तियां पीली होकर झड़ने लगती हैं। कई बार गाजर के फलों पर भी दाग-धब्बे नजर आने लगते हैं। इस रोग से पौधों को बचाने के लिए बुवाई से पहले प्रति एकड़ खेत में 12 किलोग्राम थीरम मिलाएं। खड़ी फसल में रोग के लक्षण नजर आने पर 1 लीटर पानी में 1 मिलीलीटर कार्बेंडाजिम मिलाकर छिड़काव करें। आवश्यकता होने पर 10 से 15 दिनों के अंतराल पर दोबारा छिड़काव करें।
कैरेट येलोज : इस विषाणु जनित रोग के होने पर पत्तियां बीच से चितकबरी हो जाती है। रोग बढ़ने पर पत्तियां पीली होकर मुड़ने लगती है। कंद के आकार की वृद्धि में बाधा आती है। साथ ही गाजर का फल भी कड़वा हो जाता है। इस रोग से बचने के लिए 0.02 प्रतिशत मेलाथियान का छिड़काव करना चाहिए।
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हमें उम्मीद है इस पोस्ट के माध्यम से आप गाजर के पत्तों में दाग-धब्बे होने वाले विभिन्न रोगों से बचाव कर सकते हैं। यदि आपको यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी है तो इस पोस्ट को लाइक करें साथ ही इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। गरज की खेती से जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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