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गाजर
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
3 year
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गाजर की कुछ प्रमुख किस्में

गाजर की कुछ प्रमुख किस्में

ठंड के मौसम में गाजर की प्रमुखता से खेती की जाती है। यह जड़ वाली फसलों में शामिल है। गाजर की खेती करने से पहले इसकी कुछ प्रमुख किस्मों की जानकारी होना आवश्यक है। इस पोस्ट में दी गई किस्मों की खेती करके आप गाजर की अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

  • हिसार रसीली (संशोधित) : इस किस्म की गाजर 30 से 35 सेंटीमीटर लंबी होती है। देखने में पतली एवं आकर्षक लाल रंग की इस गाजर में कैरोटीन की मात्रा अधिक पाई जाती है। अधिक उत्पादन एवं लाल रंग के कारण यह किस्म किसानों एवं ग्राहकों की पहली पसंद है।

  • चयन नंबर 223 : इस किस्म के गाजर नारंगी रंग के होते हैं। स्वाद में मीठी इस गाजर की लंबाई 15 से 18 सेंटीमीटर होती है। बुवाई के बाद फसल को तैयार होने में करीब 90 दिन लगते हैं। प्रति एकड़ जमीन से 80 से 120 क्विंटल गाजर की पैदावार होती है।

  • गाजर नंबर 29 : यह जल्दी तैयार होने वाली किस्मों में से एक है। इस किस्म के गाजर हल्के लाल रंग के होते हैं। प्रति एकड़ जमीन से 80 से 100 क्विंटल फसल की उपज प्राप्त होती है।

  • हाइब्रिड नंबर 1: इस किस्म के गाजर गहरे नारंगी रंग के होते हैं। गाजर की लंबाई 7 से 9 इंच होती है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश की पहाड़ियों, कर्नाटक, तमिलनाडु एवं केरल में खेती के लिए यह उपयुक्त किस्म है।

  • पूसा आसिता : इस किस्म को वर्ष 2008 में विकसित किया गया था। यह किस्म सितंबर से अक्टूबर में बुवाई के लिए उपयुक्त है। बुवाई के बाद फसल को तैयार होने में करीब 90 से 120 दिनों का समय लगता है। प्रति एकड़ जमीन से करीब 100 क्विंटल फसल की पैदावार होती है। इस किस्म के गाजर गहरे भूरे या काले रंग के होते हैं।

इन किस्मों के अलावा भारत में पूसा रुधिर, पूजा केशर, पूसा मेघाली, चैंटनी, नैनटिस आदि कई किस्मों की खेती की जाती है। इन किस्मों की पैदावार एवं विशेषताएं जानने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें।

गाजर की कुछ प्रमुख किस्में

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