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गाजर की खेती में रखें इन बारीकियों का ध्यान
गाजर की खेती में रखें इन बारीकियों का ध्यान
गाजर की खेती देश के लगभग सभी क्षेत्रों में की जाती है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में इसकी खेती मुख्य रूप से की जाती है। गाजर की खेती करने से पहले इसकी खेती से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें अवश्य जान लें।
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गाजर की खेती के लिए गहरी भूरभूरी मिट्टी या हल्की दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है।
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खेतों में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था का ध्यान रखें।
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गाजर के अच्छे उत्पादन के लिए 6.5 पी.एच स्तर की मिट्टी सबसे उपयुक्त है।
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बिजाई से पहले खेत की 2-3 बार जुताई कर लें।
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अच्छी पैदावार के लिए खेत तैयार करते समय मिट्टी में गोबर की खाद या रूड़ी की खाद मिला दें।
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देशी किस्मों की बिजाई अगस्त से सितंबर महीने में करनी चाहिए।
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यूरोपियन एवं अन्य विदेशी किस्मों की बिजाई के लिए अक्तूबर-नवंबर का महीना अच्छा होता है।
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एक क्यारी की दूसरे क्यारी से लगभग 45 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए।
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पौधों की पौधों से 7-8 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
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प्रति एकड़ जमीन के लिए 4 से 5 किलो बीजों की आवश्यकता होती है।
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बीजों को खेत में लगाने से पहले 12 से 24 घंटों तक पानी में भिगोना से अंकुरण में वृद्धि होती है।
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खेत में नमी की कमी होने पर बिजाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई कर देनी चाहिए।
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गाजर की फसल को 15 से 20 दिन के अंतराल पर 5-6 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है।
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खेतों को खरपतवार से मुक्त रखें।
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बिजाई के लगभग 90 से 100 दिन बाद फसल तैयार हो जाती है।
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