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18 Apr
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एरोपोनिक्स खेती: जानें प्रक्रिया एवं लाभ | Aeroponics Farming: Process and Benefits

एरोपोनिक्स खेती: जानें प्रक्रिया एवं लाभ | Aeroponics Farming: Process and Benefits

लगातार बढ़ती जनसंख्या के कारण कृषि योग्य भूमि धीरे-धीरे कम होती जा रही है। इस समस्या से बचने के लिए वैज्ञानिकों ने एरोपोनिक्स तकनीक को ईजाद किया है। इस तकनीक के द्वारा मिट्टी के बगैर, हवा में पौधों को उगाया जा सकता है। एरोपोनिक्स सिस्टम अत्यधिक स्वचालित होते हैं। सेंसर और कंप्यूटर सिस्टम का उपयोग करके दूर से निगरानी और नियंत्रित किया जा सकता है। इस तकनीक में तापमान, आर्द्रता और प्रकाश के स्तर पर सटीक नियंत्रण किया जा सकता है। एरोपोनिक्स कृषि तकनीक की विस्तृत जानकारी के लिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।

क्या है एरोपोनिक्स? | What is Aeroponics?

  • एरोपोनिक्स कृषि एक ऐसी अनोखी तकनीक है जिसके द्वारा हवा में सफलतापूर्वक खेती की जा सकती है।
  • इस तकनीक से खेती करने पर पौधों को मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है।

एरोपोनिक्स कृषि कैसे की जाती है? | How is Aeroponics done?

  • इस तकनीक में वातावरण को नियंत्रित करके पौधों को एक कंटेनर, ट्रे या प्लास्टिक शीट के छेद में लगाया जाता है।
  • पौधों की जड़ों को एक बक्से में लटकाया जाता है।
  • पोषक तत्व युक्त घोल को पंप या नोजल के द्वारा जड़ों तक पहुंचाया जाता है।

एरोपोनिक्स तकनीक से किन पौधों की खेती की जा सकती है? | Which plants can be cultivated using Aeroponics method?

  • एरोपोनिक्स तकनीक के द्वारा पालक, धनिया, मेथी, स्ट्रॉबेरी, टमाटर, खीरा, मिर्च, लेट्यूस, केल, तुलसी,  एवं अन्य जड़ी-बूटी (हर्ब्स) की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। कृषि वैज्ञानिकों ने इस तकनीक से आलू भी उगाया है।

एरोपोनिक्स खेती के फायदे | Benefits of Aeroponics

  • पानी की बचत: मिट्टी आधारित पारंपरिक खेती की तुलना में एरोपोनिक्स तकनीक से खेती करने पर 90% तक पानी की बचत होती है। इसलिए पानी की कमी वाले क्षेत्रों में भी इस तकनीक से कृषि संभव है।
  • कृषि योग्य भूमि की आवश्यकता: इस तकनीक के द्वारा खेती करने के लिए कृषि योग्य भूमि की आवश्यकता नहीं होती है। एक छोटी सी जगह में भी अधिक पौधों को उगाया जा सकता है। यह शहरी क्षेत्रों में विशेष रूप से उपयोगी है जहां स्थान सीमित है।
  • पौधों का विकास: इस तकनीक में पौधों को अधिक ऑक्सीजन और पोषक तत्व प्राप्त होता है। इसलिए एरोपोनिक सिस्टम में उगाए जाने वाले पौधे मिट्टी आधारित प्रणालियों में उगाए जाने वाले पौधों की तुलना में तेजी से बढ़ते हैं।
  • वर्ष भर उत्पादन: इस तकनीक में मौसम, जानवरों या किसी अन्य प्रकार के बाहरी, जैविक एवं अजैविक कारणों से पौधे प्रभावित नहीं होते। एरोपोनिक तकनीक के द्वारा मौसम की स्थिति की परवाह किए बिना वर्ष भर फसलों का उत्पादन किया जा सकता है।
  • अधिक उपज: पौधों की जड़ों में अधिक मात्रा में ऑक्सीजन एवं अन्य पोषक तत्व मिलने केकारण पौधों का बेहतर विकास होता है। जिससे उपज में वृद्धि होती है। इस विधि से खेती करने पर उत्पादन में 12 गुणा तक वृद्धि हो सकती है।
  • रोग एवं कीटों के प्रकोप में कमी: इस तकनीक से उगाए जाने वाले पौधे रोग एवं कीटों के प्रति सहनशील होते हैं। जिससे इनमें रोगों और कीटों के होने की संभावना कम हो जाती है।
  • लागत में कमी: खेत की जुताई, सिंचाई, आदि में होने वाले खर्च में कमी आती है।

एरोपोनिक्स खेती के नुकसान | Challenges of Aeroponics Farming

  • उच्च प्रारंभिक निवेश: एरोपोनिक्स सिस्टम को स्थापित करने के लिए विशेष उपकरण और प्रौद्योगिकी की आवश्यकता होती है। इसलिए इसे स्थापित करने में लागत की आवश्यकता अधिक होती है। छोटे किसानों के लिए ये एक बड़ी समस्या है।
  • तकनीकी जानकारी की कमी: एरोपोनिक्स सिस्टम को स्थापित करने के लिए तकनीकी जानकारी की आवश्यकता होती है। प्रौद्योगिकी की अच्छी समझ नहीं होने के कारण किसानों को काफी कठिनाइयां हो सकती हैं।
  • सिस्टम विफलता की संभावना: एरोपोनिक्स सिस्टम जटिल होते हैं और सिस्टम विफलता की संभावना बनी रहती है। जिससे किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
  • सीमित फसलों की खेती: इस तकनीक के द्वारा सभी फसलों की खेती करना संभव नहीं है। हम पत्तेदार सब्जियों के साथ, कुछ हर्ब्स और स्ट्रॉबेरी, लेट्यूस, जैसे फौधों को ही इस तकनीक के द्वारा उगा सकते हैं।
  • बिजली पर निर्भरता: एरोपोनिक्स सिस्टम को संचालित करने के लिए बिजली की आवश्यकता होती है। बिजली की कमी वाले क्षेत्रों में इस तकनीक का उपयोग करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।

भारत में कहां होती है एरोपोनिक्स खेती? | Where in India is Aeroponics Farming Practiced?

  • भारत में एरोपोनिक्स कृषि तकनीक अन्य कृषि तकनीकों की अपेक्षाकृत नई है। इसलिए इसे अभी तक व्यापक रूप से अपनाया नहीं गया है। हालांकि, बेंगलुरु में भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (आईआईएचआर) ने अनुसंधान उद्देश्यों के लिए एक एरोपोनिक्स इकाई स्थापित की है।
  • इसके साथ ही कुछ निजी कंपनियां और स्टार्टअप कंपनियां भी एरोपोनिक्स तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं।

क्या आप एरोपोनिक्स तकनीक से अवगत हैं? क्या आप इस तकनीक का प्रयोग करना पसंद करेंगे? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। कृषि क्षेत्र की आधुनिक तकनीकों की अधिक जानकारी के लिए ‘कृषि टेक’ चैनल को तुरंत फॉलो करें। इस जानकारी को अन्य किसानों तक पहुंचाने के लिए इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: एरोपोनिक्स के लिए क्या आवश्यक है?

A: एक एरोपोनिक प्रणाली स्थापित करने के लिए जलाशय, पंप, नोजल, टाइमर, आदि की आवश्यकता होती है। इस विधि में पौधों की जड़ों को हवा में लटकाया जाता है और उसमें धुंध की तरह पोषक तत्वों की पूर्ति की जाती है।

Q: क्या एरोपोनिक्स में पौधे तेजी से बढ़ते हैं?

A: एरोपोनिक्स तकनीक में वातावरण को नियंत्रित करते हुए सीधा पौधों की जड़ों में पोषक तत्व प्रदान किया जाता है। जिससे पौधों का विकास तेजी से होता है।

Q: हाइड्रोपोनिक और एरोपोनिक में क्या अंतर है?

A: हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में पौधों को पानी में उगाया जाता है। वहीं एरोपोनिक्स तकनीक में हवा एवं धुंध की तरह वातावरण में पौधे उगाए जाते हैं। हाइड्रोपोनिक्स की तुलना में एरोपोनिक्स विधि में पानी की आवश्यकता कम होती है।

Q: एरोपोनिक्स में कौन से पौधे उगाए जाते हैं?

A: इस तकनीक में सीमित फसलों को ही उगाया जा सकता है। जिसमें आलू, पालक, चेरी टमाटर, लेट्यूस, तुलसी, पुदीना, केल जैसी फसलें शामिल हैं।

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