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औषधीय पौधे
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
1 year
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एलोवेरा की फसल में ऐसे करें सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन

एलोवेरा की फसल में ऐसे करें सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन

एलोवेरा प्राचीन काल से ही एक औषधीय पौधे के रूप में जाना जाता है। एलोवेरा का उपयोग कई तरह की दवाइयों, सौंदर्य उत्पादों और यहां तक की कच्चे रूप में भी इसका सेवन किया जाता है। एलोवेरा की फसल एक बार लगाने पर 3 से 5 बार तक इसकी कटाई की जा सकती है। यह वर्ष भर होने वाली फसल है। साथ ही कम उपजाऊ भूमि में भी यह तेजी से विकास करती है। पत्तियों में जेल की मात्रा बढ़ाने और पत्तियों के बड़े आकार पाने के लिए उचित सिंचाई और उर्वरक की व्यवस्था का होना जरूरी है। एलोवेरा की फसल में सिंचाई प्रबंधन और उर्वरक प्रबंधन से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए पोस्ट को पूरा पढ़ें।

एलोवेरा में उर्वरक प्रबंधन

  • खेत तैयार करते समय 4 से 6 टन सड़ी गोबर की खाद प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।

  • 48 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और 13 किलोग्राम पोटाश खेत की तैयारी के समय डालें।

एलोवेरा में निराई गुड़ाई

  • फसल की रोपाई के 1 महीने बाद फसल में पहली निराई करनी चाहिए।

  • इसके बाद प्रत्येक 3 से 4 महीने में पौधों की निराई करनी चाहिए।

  • खरपतवार अधिक होने पर निराई के समय को आवश्यकता अनुसार घटाया जा सकता है।

एलोवेरा में सिंचाई प्रबंधन

  • एलोवेरा में पानी की आवश्यकता कम होती है।

  • गर्म एवं शुष्क मौसम में 2 सप्ताह के अंतराल पर सिंचाई करें।

  • बारिश के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।

  • ठंड के मौसम में पौधों को ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए कम सिंचाई करनी चाहिए।

  • पौधों में गांठे बनने के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें।

  • खेत में ज्यादा पानी ना लगाएं इससे फसल को नुकसान होता है।

  • मिट्टी सूखने के बाद ही खेत में सिंचाई करें।

  • खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें। जिससे जल जमाव की समस्या न हो।

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