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धान में लगने वाला खैरा रोग के लक्षण एवं नियंत्रण के तरीके
धान में लगने वाला खैरा रोग के लक्षण एवं नियंत्रण के तरीके
धान की फसल में पत्ती ब्लास्ट रोग, सफेदा रोग, आदि रोगों के साथ खैरा रोग भी शामिल है। इस रोग के होने का मुख्य कारण है जिंक की कमी। इस रोग के लक्षण पौधों की पत्तियों पर साफ देखे जा सकते हैं। अगर आप भी कर रहे हैं धान की खेती तो पौधों की इस रोग से बचने के लिए इस रोग के लक्षण एवं बचाएं की जानकारी होना आवश्यक है। आइए खैरा रोग के कारण एवं लक्षण पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
खैरा रोग के लक्षण
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रोग से प्रभावित होने पर पत्तियों पर हल्के पीले रंग के धब्बे उभरने लगते हैं।
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कुछ समय बाद धब्बों के आकार एवं रंग बदलने लगते हैं।
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रोग बढ़ने के साथ धब्बे गहरे कत्थई रंग के हो जाते हैं।
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रोग से प्रभावित जड़ों का रंग भी कत्थई होने लगता है।
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पौधों के विकास में बाधा आती है।
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पैदावार में भारी में कमी हो जाती है।
खैरा रोग पर नियंत्रण के तरीके
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पौधों में जिंक की कमी पूरी करने के लिए प्रति एकड़ खेत में 3 से 4 किलोग्राम देहात जैविक जिंक का प्रयोग करें।
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इस रोग पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ भूमि में 400 लीटर पानी में 2 किलोग्राम जिंक सल्फेट और 1 किलोग्राम बुझा हुआ चूना मिला कर छिड़काव करें।
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बुझा हुआ चूना उपलब्ध नहीं होने पर 2 प्रतिशत यूरिया का प्रयोग कर सकते हैं।
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