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धान की फसल पर हो रहा हिस्पा का प्रकोप, जानें नियंत्रण के तरीके
धान की फसल पर हो रहा हिस्पा का प्रकोप, जानें नियंत्रण के तरीके
धान की फसल को बुरी तरह प्रभावित करने वाले कीटों में हिस्पा कीट भी शामिल है। पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल एवं ओडिशा के कई क्षेत्रों में इस कीट के प्रकोप की 35-68% तक सूचना मिली है। बात करें वातावरण की तो 31.5 से 26.6 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान, 92.70 प्रतिशत तक आर्द्रता और 26.60 मिलीमीटर वर्षा वाले क्षेत्र इस कीट के पनपने के लिए उपयुक्त है। अपनी फसल को हिस्पा कीट से बचाने के लिए इसकी पहचान, इससे होने वाले नुकसान और नियंत्रण के तरीके यहां से देखें।
हिस्पा कीट की पहचान
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इस कीट के अंडे पत्ती ऊतक के अंदर उसकी नोक की तरफ पाए जाते हैं।
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इस कीट का लार्वा छोटा, चपटा एवं पीले रंग का होता है।
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वयस्क कीट काले-नीले रंग के बीटल या भृंग होते हैं।
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वयस्क कीट की लम्बाई करीब 5 मिलीमीटर होती है।
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इसके शरीर एवं आगे के हिस्सों में कई छोटे-छोटे कांटे होते हैं।
हिस्पा कीट से होने वाले नुकसान
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ग्रब कीट लीफ ब्लेड को खरोचकर नसों के बीच, हरे ऊतक को खाते हैं।
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लार्वा यानी ग्रब कीट पौधों की कोमल पत्तियों के हरे पदार्थ को भी खुरच कर खाता है।
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वयस्क बीटल कीट पत्तियों के सतह पर रहकर पत्तियों को क्षति पहुंचाते हैं।
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पत्तियां मुरझा कर सूखने लगती हैं।
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पत्तियों के ऊपरी भाग पर मुख्य नसों के सामानांतर सफेद रंग की पारदर्शी धारियां नजर आने लगती हैं।
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कीट का प्रकोप बढ़ने पर पत्तियां सफेद हो कर नष्ट हो जाती हैं।
हिस्पा कीट पर नियंत्रण के तरीके
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प्रभावित क्षेत्रों में नाइट्रोजन उर्वरक का अत्यधिक इस्तेमाल करने से बचें।
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कीटों की जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए खरपतवारों पर नियंत्रण करें।
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कीट को अंडे देने से रोकने के लिए टहनियों के शीर्ष को काट दें।
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कीट का जीवन चक्र तोड़ने के लिए फसलों का चक्रीकरण करें।
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प्रति एकड़ खेत में 800 मिलीलीटर क्विनल्फॉस 25% EC का पौधों में छिड़काव करें।
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धान की फसल में हिस्पा कीट पर रोकथाम के लिए टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 के माध्यम से देहात के कृषि विशेषज्ञों से जुड़कर उचित सलाह लें और सही समय पर फसल का बचाव करें। साथ ही अपने नजदीकी देहात केंद्र से उच्च गुणवत्ता के उर्वरक एवं कीटनाशक की खरीदारी जैसी कई सुविधाओं का भी लाभ उठाएं।
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