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धान की फसल में पोषक तत्वों का प्रबंधन कैसे करें ?
धान की फसल में पोषक तत्वों का प्रबंधन कैसे करें ?
परिचय :
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धान की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए पोषक तत्वों का अहम रोल होता है। किसी भी एक पोषक तत्व की कमी होने पर फसल पर इसका प्रभाव साफ दिखाई देता है।
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अधिक पैदावार एवं उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त करने के लिए सही समय पर एवं सही मात्रा में उर्वरकों का इस्तेमाल करना आवश्यक है।
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धान की फसल में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, जिंक सहित अन्य पोषक तत्वों की आवश्यकता होती हैं। अच्छी पैदावार के लिए इनका उचित प्रबंध जरुरी है l
धान की नर्सरी में उर्वरक प्रबंधन कैसे करें?
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सबसे पहले नर्सरी में 1.25 मीटर चौड़ी एवं 8 मीटर लम्बी क्यारियां तैयार करें।
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प्रत्येक क्यारी में 225 ग्राम यूरिया एवं 500 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट मिलाएं।
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नर्सरी में जिंक की पूर्ति के लिए 10 वर्ग मीटर क्षेत्र में 50 ग्राम जिंक सल्फेट का इस्तेमाल करें।
धान के खेत में पौधों की रोपाई के समय उर्वरक प्रबंधन कैसे करें?
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खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 4 टन गोबर की खाद मिलाएं।
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नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की पूर्ति के लिए प्रति एकड़ खेत में 40 किलोग्राम डीएपी मिलाएं।
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धान के लिए नाइट्रोजन: फासफोरस: पोटाश को 50:12:12 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में डालें।
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इसके लिए 110 किलोग्राम यूरिया, 75 किलोग्राम सिंगल सुपर फासफेट और 20 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में डालें
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पौधों की रोपाई के समय प्रति एकड़ खेत में 20 किलोग्राम यूरिया डालें।
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पोटाश की पूर्ति के लिए प्रति एकड़ खेत में 15 किलोग्राम एमओपी मिलाएं।
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मिट्टी में जैविक कार्बन की मात्रा 1 प्रतिशत से कम होने पर प्रति एकड़ खेत में 10 से 12 टन कार्बनिक खाद मिलाएं।
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फॉस्फोरस और नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए प्रति एकड़ खेत में 40 किलोग्राम डीएपी मिलाएं।
पौधों की रोपाई के बाद खेत में उर्वरक प्रबंधन कैसे करें?
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पौधों की रोपाई के 25 दिनों बाद प्रति एकड़ खेत में 35 किलोग्राम यूरिया का इस्तेमाल करें।
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अच्छी पैदावार के लिए प्रति एकड़ भूमि में 4 किलोग्राम देहात स्टार्टर का प्रयोग करें।
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पौधों की रोपाई के 42 दिनों बाद जब पौधों पर कल्ले आने लगे तब प्रति एकड़ खेत में 35 किलोग्राम यूरिया फिर से डालें।
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पौधों की रोपाई के 42 दिनों बाद प्रति एकड़ खेत में 10 किलोग्राम एमओपी का प्रयोग करें।
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पौधों में जिंक की कमी पूरी करने के लिए प्रति एकड़ खेत में 3 से 4 किलोग्राम देहात जैविक जिंक या सिंगल सुपर फास्फेट का इस्तेमाल करें।
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पौधों की रोपाई के 65 दिन बाद 20 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ की दर से फिर से डालें।
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खड़ी फसल में खैरा रोग के लक्षण नजर आने पर 800 ग्राम जिंक सल्फेट और 400 ग्राम बुझा हुआ चूना 180 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें।
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