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धान की फसल में निमाटोड कीट पर नियंत्रण
धान की फसल में निमाटोड कीट पर नियंत्रण
निमाटोड छोटे, धागे की तरह सूक्ष्म कीट होते हैं। इन्हें खाली आंखों से देख पाना मुश्किल हैं। यह कीट फसल की जड़ों से रस चूसकर जड़ों को कमजोर कर देते हैं। जिससे प्रभावित पौधे उचित मात्रा में पोषक तत्व ग्रहण नहीं कर पाते हैं और पौधों का विकास रुक जाता है। प्रभावित पौधों की जड़ों में गांठे बन जाती हैं और जड़ें सड़ने लगती हैं। धान की फसल में निमाटोड का प्रकोप होने पर धान की फसल में फुटाव में कमी होने के साथ कल्लों में बौनापन और बालियों में कम दाने भरने की समस्या होती है। इस कीट से बचने के लिए रोपाई के 10 दिनों बाद प्रति एकड़ खेत में 400 से 500 ग्राम कार्बोफ्यूरान का प्रयोग करें। खड़ी फसल में निमाटोड के प्रकोप के लक्षण नजर आने पर प्रति एकड़ खेत में 1 से 2 लीटर 'पसिलोमिस लीलसिनस' नामक जैविक कीटनाशक को अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद में मिला कर खेत में छिड़काव करें।
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