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धान की नर्सरी में खरपतवार नियंत्रण के बेहतरीन उपाय
धान की नर्सरी में खरपतवार नियंत्रण के बेहतरीन उपाय
खेत में पौधों की रोपाई से पहले धान के पौधों को नर्सरी में तैयार किया जाता है। नर्सरी तैयार करते समय किसानों के सामने कई समस्याएं आती है। जिनमें खरपतवारों की अधिकता भी शामिल है। नर्सरी में खरपतवार निकलने से पौधों को भारी नुकसान होता है। आइए धान की नर्सरी में खरपतवारों से होने वाले हानि एवं इस पर नियंत्रण के तरीकों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
धान की नर्सरी में खरपतवारों से होने वाले नुकसान
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नर्सरी में धान के पौधों के साथ खरपतवार निकलने से पौधों को उचित मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिलता है।
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पोषक तत्व की कमी के कारण धान के पौधे कमजोर हो जाते हैं। कमजोर पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। जिससे धान के पौधे आसानी से विभिन्न रोगों की चपेट में आ सकते हैं।
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धान के पौधों का विकास धीमी गति से होता है।
नर्सरी में खरपतवारों पर कैसे करें नियंत्रण?
बीज की बुवाई से पहले :
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बीज की बुवाई से 1 सप्ताह पहले नर्सरी के लिए चयनित खेत में पानी भर दें या अच्छी तरह सिंचाई करें। इससे कुछ दिनों में खरपतवार निकलने लगेंगे। खरपतवारों के निकलने के बाद एक बार गहरी जुताई करें और खेत को कुछ दिनों तक खुला रहने दें। ऐसा करने से खेत में पहले से मौजूद खरपतवार नष्ट हो जाएंगे।
बुवाई के बाद :
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बीज की बुवाई के बाद खरपतवारों के जमाव को रोकने के लिए प्रति एकड़ भूमि में 800 मिलीलीटर प्रोटीलाक्लोर 30.7 प्रतिशत ई.सी. (जो बाजार में इरेज एन नाम से उपलब्ध है) का प्रयोग करें। इसका प्रयोग बालू में मिलाकर कर सकते हैं। इसके साथ ही इसे पानी में मिलाकर छिड़काव भी कर सकते हैं। दवा का प्रयोग बीज की बुवाई के 24 घंटे बाद 72 घंटों के अंदर करें।
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इसके अलावा प्रति एकड़ भूमि में 80 ग्राम यूपीएल साथी नामक दवा का भी प्रयोग कर सकते हैं।
बुवाई के 10 15 दिनों बाद :
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बुवाई के 10 से 15 दिनों बाद यदि नर्सरी में खरपतवार नजर आ रहे हैं तो निराई-गुड़ाई के द्वारा इन पर नियंत्रण करें।
यह भी पढ़ें :
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धान की नर्सरी तैयार करने की विधि एवं बीज उपचारित करने की विधि की जानकारी यहां से प्राप्त करें।
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