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धान की नर्सरी में बीजों के कम अंकुरण की समस्या से ऐसे पाएं निजात
धान की खेती करने के लिए पहले धान का बिचड़ा डाल नर्सरी तैयार की जाती है। इसेक बाद बीजों का अच्छे से अंकुरण होने पर इन पौधों का रोपण खेत में किया जाता है। लेकिन कई बार नर्सरी में बीजों का अच्छे से अंकुरण नहीं हो पाता है। कभी-कभी बीजों का अंकुरण बहुत ही कम होता है। इससे फसल की उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है। अगर समय रहते ध्यान न दिया जाये तो धान की नर्सरी में पौध तैयार ही नहीं होगी। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम किसानो को धान की नर्सरी में अंकुरण के कम होने के कारण एवं समाधान के उपाय बताएंगे। जिनको अपनाकर किसान बीजों से अच्छे से अंकुरण ले सकते हैं। जानने के लिए पढ़िए यह आर्टिकल।
अंकुरण क्रिया क्या होती है?
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जब एक बीज पौधे में बदलने लगता है, उस क्रिया को अंकुरण क्रिया कहते हैं।
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अंकुरण क्रिया के दौरान छोटा पौधा बीज से निकलना शुरू करता है।
बीज अंकुरण को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक
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आवश्यकता से अधिक या कम मात्रा में सिंचाई करना।
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बीजों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन न मिलने से भी बीज का अंकुरण प्रभावित होता है।
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बीज के अंकुरण अनुसार अधिक या कम तापनाम का होना।
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बीजों को उचित मात्रा में रोशनी न मिलने पर वह कम अंकुरित होते हैं।
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अधिक गहराई में बीज को बोना।
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बीज को सही तरीके से स्टोर न किये जाने पर बीज टूट-फूट जाते हैं, जिस कारण से बीज मृत हो जाते हैं।
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मिट्टी जनित रोगों के प्रकोप से भी बीज सड़ जाते हैं एवं अंकुरण अच्छे से नहीं हो पाता है।
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पोषक तत्वों की कमी से भी अंकुरण प्रभावित होता है।
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खराब गुणवत्ता के बीजों की बुआई करने से भी अंकुरण अच्छे से नहीं हो पाता है।
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कई बार बीज का अच्छे से परिपक्व नहीं होने से अंकुरण नहीं होता है।
अंकुरण क्रिया को बेहतर करने के उपाय
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बीज अंकुरण के समय मिट्टी में उचित मात्रा में नमी बनाएं रखें।
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बीजों की बुआई करते समय फसल के अनुसार वातारण का ध्यान रखें।
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बुआई करते समय बीजों की उचित गहराई पर बोयें। जिससे बीजों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिल सकें।
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अंकुरण की आवश्यकता के अनुसार बीजों को पर्याप्त मात्रा में सूर्य की रोशनी मिलें।
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बीज अंकुरण के लिए अच्छी जलधारण क्षमता वाली जैविक खाद युक्त मिट्टी का उपयोग करें।
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बीजों की बुआई करते समय अच्छी गुणवत्ता वाले मिच्योर बीज का चुनाव करें।
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बीजों की बुआई से पहले फफूंदी नाशक दवा थीरम 2 ग्राम या एग्रोसान जी.एन. 2 ग्राम मात्रा से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करें।
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इसके अलावा बिजाई से पहले बीजों को 20 ग्राम कार्बेनडाज़िम और 1 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन को 10 लीटर पानी में मिला लें और इस घोल में बीजों को 8-10 घंटे तक भिगोयें।
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इसके बाद बीजों को छांव में सूखाकर, बीजों की बुआई करें।
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बीजों की बुआई से पहले बीजों का अंकुरण परीक्षण करें।
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इसके लिए बीज की बोरी से बीजों साफ कर छोटे व अस्वस्थ दानें निकाल दें।
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बोरी से बिना छांटे 100 बीज गिनकर गीली बोरी में कतार में रखकर लपेट कर रख दें। इस दौरान बोरे में हल्की नमी बनाये रखें।
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तीन-चार दिनों में बीज अंकुरण होने के बाद अंकुरित बीज की संख्या गिने। यहीं संख्या आपके बीज अंकुरण का प्रतिशत होगा।
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उचित मात्रा में पोषक तत्व दें।
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आशा है कि यह जानकारी आपके लिए लाभकारी साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लाइक करें और अपने किसान मित्रों के साथ जानकारी साझा करें। जिससे अधिक से अधिक लोग इस जानकारी का लाभ उठा सकें और धान की नर्सरी में बीजों के कम अंकुरण होने की समस्या पर नियंत्रण कर, फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें। इससे संबंधित यदि आपके कोई सवाल हैं तो आप हमसे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं। कृषि संबंधी अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।
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