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11 May
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धान की नर्सरी की लाल होने की समस्या और समाधान

धान की नर्सरी की लाल होने की समस्या और समाधान

धान की नर्सरी में पौधों के लाल होने की समस्या आमतौर पर मिट्टी में फफूंद जनित रोग और पोषक तत्वों मुख्य रूप से जिंक की कमी के कारण देखने को मिलती है। रोग के लक्षण धान की बिजाई के केवल 10 से 15 दिन बाद ही पत्तियों पर लाल, भूरे, जंग जैसे धब्बों के रूप में देखे जा सकते हैं। समय के साथ बढ़ते हुए यह रोग पूरी पत्तियों पर फैल जाता है और पत्तियां लाल होकर सूखने लगती हैं। नर्सरी में अधिक पानी जमा होने के कारण भी धान की नर्सरी में यह समस्या होती है। धान के पौधों की लाल होने की समस्या से होने वाले नुकसान और बचाव से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए पोस्ट को पूरा पढ़ें।

पौधों के लाल होने की समस्या से होने वाले नुकसान

  • पत्तियों में जंग जैसे धब्बे उभरने लगते हैं।

  • यह धब्बे लाल से भूरे रंग के होते हैं।

  • पौधे लाल होकर सूख जाते हैं।

  • जड़ों का विकास रुक जाता है।

धान के पौधों के लाल होने से बचाव के उपाय

  • खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था रखें।

  • पौधों में समस्या से बचाव के लिए मैंकोजेब या कार्बेंडाजिम की 1.5 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें।

  • जिंक की कमी पूरी करने के लिए जिंक की 1 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।

  • यदि फफूंद नाशक एवं जिंक दोनों को साथ मिला कर छिड़काव करते है तो इस समस्या पर 80 प्रतिशत तक नियंत्रण किया जा सकता है।

  • बेहतर परिणाम के लिए फफूंद नाशक छिड़काव के अगले दिन पौधों में जिंक का छिड़काव करें।

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ऊपर दी गयी जानकारी पर अपने विचार और कृषि संबंधित सवाल आप हमें कमेंट बॉक्स में लिख कर भेज सकते हैं। यदि आपको आज के पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो इसे लाइक करें और अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें। जिससे अधिक से अधिक किसान इस जानकारी का लाभ उठा सकें। साथ ही कृषि संबंधित ज्ञानवर्धक और रोचक जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।

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