अधिकांश क्षेत्रों में सितंबर-अक्टूबर महीने में धान की कटाई की जाती है। धान की कटाई अगर सही समय पर नहीं की जाए तो पैदावार में कमी हो सकती है। इसके साथ ही फसल की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल असर देखने को मिलता है। इस पोस्ट के माध्यम से आप धान की कटाई के लिए उपयुक्त समय की जानकारी और कटाई के समय ध्यान में रखने वाली कुछ बातों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
कटाई के लिए उपयुक्त समय
जब धान के दानों में 20 से 25% नमी हो तब इसकी कटाई कर लें।
80 से 85% बालियां पीली हो जाए तो समझें धान की फसल कटाई के लिए तैयार हो गई है।
कटाई के लिए उपकरण
कई क्षेत्रों में धान की कटाई हंसिए से की जाती है।
हंसिए से कटाई करने में अधिक समय लगता है। जिस कारण कटाई में खर्च भी अधिक होता है।
हंसिए के अलावा धान की कटाई कम्बाइनर से भी की जाती है।
कम्बाइनर मशीनें कई क्षमताओं में उपलब्ध हैं। जिनमें से कुछ ट्रैक्टर के द्वारा चलती हैं तो कुछ इंजन के द्वारा चलने वाली स्वचालित मशीनें होती हैं।
कम्बाइनर से कटाई करने पर समय काफी कम लगता है और कटाई में होने वाली लागत में भी कमी आती है।
कटाई के समय किन बातों का रखें ध्यान?
नम वातावरण में धान की कटाई करने से बचें।
यदि खेत में पानी भरा है तो कटाई से करीब 7 से 10 दिनों पहले खेत से पानी को निकाल दें।
कटाई के समय धान की सभी बालियों को एक दिशा में रखें। इससे मड़ाई (थ्रेसिंग) के समय आसानी होती है।
कटाई के बाद धान को अधिक समय तक न सुखाएं।
इसके साथ ही कटाई के बाद धान की फसल को वर्षा एवं ओस (शीत) से बचाना भी आवश्यक है।
खेत में बचे अवशेषों का क्या करें?
कटाई के बाद खेत में धान के अवशेष रह जाते हैं। इन्हें जलाने से वातावरण प्रदूषित होता है।
इससे बचने के लिए प्रति एकड़ जमीन में 30 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव करें।
इसके बाद जुताई करके पाटा लगा दें।
इससे धान के पौधों के अवशेष मिट्टी में अच्छी तरह गल जाएंगे।
ऐसा करने से मिट्टी अधिक उपजाऊ हो जाएगी और अगली फसल में नाइट्रोजन की आवश्यकता भी कम होगी।
यदि आपको यह जानकारी आवश्यक लगी है तो हमारे पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। अगर आपके मन में धान की कटाई से जुड़े सवाल हैं तो आप अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं।
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