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धान : कंडवा रोग पर इस तरह करें नियंत्रण
धान : कंडवा रोग पर इस तरह करें नियंत्रण
धान की फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख रोगों में कंडवा रोग भी शामिल है। इस रोग को फॉल्स स्मट के नाम से भी जाना जाता है। इस रोग का प्रकोप सितंबर-अक्टूबर महीने में अधिक होता है। यह फफूंद के द्वारा होने वाला रोग है। समय रहते इस रोग पर नियंत्रण नहीं किया गया तो बहुत कम समय में पूरी फसल नष्ट हो सकती है। आइए इस रोग के लक्षण एवं नियंत्रण के तरीकों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
कंडवा रोग के लक्षण
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इस रोग का असर धान की बालियां एवं दानों पर होता है।
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इस रोग से प्रभावित पौधों के दाने पीले रंग के पिंड में बदल जाते हैं।
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बालियों को झाड़ने से हल्दी पाउडर की तरह पदार्थ निकलता है।
कंडवा रोग पर नियंत्रण के तरीके
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इस रोग पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ भूमि में 150 लीटर पानी में 200 मिलीलीटर प्रोपिकोनाजोल 25 प्रतिशत ईसी मिला कर छिड़काव करें।
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इसके अलावा आप प्रति एकड़ भूमि में 150 लीटर पानी में ट्राईसाइक्लाजोल 120 ग्राम मिला कर भी छिड़काव कर सकते हैं।
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