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डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
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धान : जड़ गलन रोग से प्रभावित होगी पैदावार, जानें बचाव के उपाय

धान : जड़ गलन रोग से प्रभावित होगी पैदावार, जानें बचाव के उपाय

इन दिनों किसानों के सामने धान की फसल में जड़ गलन रोग की समस्या तेजी से उभर रही है। इस रोग को रूट रॉट के नाम से भी जाना जाता है। जड़ गलन रोग होने पर धान की पैदावार में 30 से 60 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। जड़ गलन रोग धान की खेती किए जाने वाले लगभग सभी क्षेत्रों में होता है। ऐसे में इस समस्या से बचने के लिए जड़ गलन रोग से होने वाले नुकसान एवं इस पर नियंत्रण के तरीकों की जानकारी होना आवश्यक है। आइए इस विषय में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

जड़ गलन रोग का कारण

  • यह रोग वायरस के कारण होता हो।

  • खेत में जल जमाव होने पर भी यह समस्या उत्पन्न होती है।

  • बीज उपचारित नहीं होने पर फफूंद के कारण भी जड़ गलन रोग होने की संभावना रहती है।

जड़ गलन रोग का लक्षण

  • इस रोग से प्रभावित पौधों की जड़ें गलने लगती हैं।

  • शुरुआत में पौधों की पत्तियां मुरझाने लगती हैं।

  • रोग बढ़ने पर पौधे सूख कर नष्ट हो जाते हैं।

जड़ गलन रोग पर नियंत्रण के तरीके

  • पौधों की रोपाई से पहले खेत में 1 बार गहरी जुताई करें।

  • बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 3 ग्राम बैविस्टिन से उपचारित करें। इससे पौधों को फफूंद जनित रोगों से बचाया जा सकता है।

  • इस रोग को फैलने से रोकने के लिए प्रभावित पौधों को खेत से बाहर निकाल कर नष्ट कर दें।

  • जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।

  • इस रोग पर नियंत्रण के लिए 15 लीटर पानी में 40 मिलीलीटर वेरोनिल मिला कर छिड़काव करें।

  • इसके अलावा प्रति एकड़ भूमि में 15 लीटर पानी में 25 ग्राम देहात फुल स्टॉप मिला कर छिड़काव करें।

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हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको इस पोस्ट में डिगै जानकारी पसंद आई है तो हमारे पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसान मित्र इस जानकारी का लाभ उठाते हुए धान की फसल को जड़ गलन रोग से बचा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें। कृषि संबंधी अन्य रोचक एवं ज्ञानवर्धक जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।

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