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धान : अच्छी पैदावार के लिए इस तरह करें उर्वरक प्रबंधन
धान : अच्छी पैदावार के लिए इस तरह करें उर्वरक प्रबंधन
धान की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए किसान दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं। इसके बाद भी कई कारणों से किसानों को उचित पैदावार नहीं मिलती है। इन कारणों में उर्वरक प्रबंधन भी शामिल है। अधिक पैदावार एवं उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त करने के लिए सही समय पर एवं सही मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करना आवश्यक है। आइए धान की फसल में उर्वरक प्रबंधन पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
धान की नर्सरी में उर्वरक प्रबंधन
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सबसे पहले नर्सरी में 1.25 मीटर चौड़ी एवं 8 मीटर लम्बी क्यारियां तैयार करें।
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प्रत्येक क्यारियों में 225 ग्राम यूरिया एवं 500 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट मिलाएं।
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नर्सरी में जिंक की पूर्ति के लिए 10 वर्ग मीटर क्षेत्र में 50 ग्राम जिंक सल्फेट का प्रयोग करें।
मुख्य खेत में उर्वरक प्रबंधन
खेत की तैयारी एवं पौधों की रोपाई के समय
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खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 4 टन एफवाईएम (गोबर की खाद) मिलाएं।
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नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की पूर्ति के लिए प्रति एकड़ खेत में 40 किलोग्राम डीएपी मिलाएं।
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पौधों की रोपाई के समय प्रति एकड़ खेत में 20 किलोग्राम यूरिया डालें।
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पोटाश की पूर्ति के लिए प्रति एकड़ खेत में 15 किलोग्राम एमओपी मिलाएं।
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मिट्टी में जैविक कार्बन की मात्रा 1 प्रतिशत से कम होने पर प्रति एकड़ भूमि में 10 से 12 टन कार्बनिक खाद मिलाएं।
पौधों की रोपाई के बाद
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पौधों की रोपाई के 25 दिनों बाद प्रति एकड़ खेत में 35 किलोग्राम यूरिया का प्रयोग करें।
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अच्छी पैदावार के लिए प्रति एकड़ भूमि में 4 किलोग्राम देहात स्टार्टर का प्रयोग करें।
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पौधों की रोपाई के करीब 42 दिनों बाद प्रति एकड़ खेत में 35 किलोग्राम यूरिया डालें।
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पौधों की रोपाई के 42 दिनों बाद प्रति एकड़ खेत में 10 किलोग्राम एमओपी का प्रयोग करना चाहिए।
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पौधों में जिंक की कमी पूरी करने के लिए प्रति एकड़ खेत में 3 से 4 किलोग्राम देहात जैविक जिंक का प्रयोग करें।
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