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ड्रिप विधि से सिंचाई की सम्पूर्ण जानकारी
ड्रिप विधि से सिंचाई की सम्पूर्ण जानकारी
फसलों में कई विधियों से सिंचाई की जाती है। जिनमे से एक है ड्रिप सिंचाई। ड्रिप इर्रिगेशन को टपक सिंचाई या बूंद-बूंद सिंचाई भी कहते हैं। यदि आप सिंचाई की इस विधि से अवगत नहीं हैं तो इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें। यहां से आप ड्रिप सिंचाई की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
क्या है ड्रिप सिंचाई?
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पौधों की जड़ों में बूंद-बूंद पानी टपका कर सिंचाई करने की विधि को ड्रिप सिंचाई कहते हैं।
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सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी की कमी वाले क्षेत्रों में भी इस विधि से आसानी से सिंचाई की जा सकती है।
ड्रिप सिंचाई के लिए किन चीजों की आवश्यकता होती है?
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ड्रिप विधि से सिंचाई करने के लिए लिए वाल्व, पाइप, नलियां एवं एमिटर का नेटवर्क लगाने की आवश्यकता होती है।
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सबसे पहले खेत में प्लास्टिक का पाइप लगाया जाता है। वाल्व और नलियों की सहायता से सभी पौधों की जड़ों तक पानी पहुंचाया जाता है। एमिटर की मदद से पानी के रिसाव को नियंत्रित किया जाता है। जिससे सभी पौधों की जड़ों में बूंद-बूंद कर के पानी पहुंच सके।
ड्रिप विधि से सिंचाई के फायदे
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सिंचाई के समय पानी की 30 से 60 प्रतिशत तक बचत होती है।
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सिंचाई केवल पौधों की जड़ों में की जाती है। जिससे आस-पास की जमीन सूखी रहती है और खेत में खरपतवार विकसित नहीं होते।
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खरपतवारों के कम निकलने से मिट्टी में मौजूद सभी पोषक तत्व पौधों को मिलते हैं। फलस्वरूप फसलों की पैदावार एवं गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
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इस विधि से पौधों को उचित मात्रा में खाद एवं उर्वरक भी दिए जाते हैं।
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सिंचाई के समय मजदूरों पर होने वाले खर्च में भी कमी आती है।
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