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चुकंदर की खेती की सम्पूर्ण जानकारी
Author : Soumya Priyam

चुकंदर में फाइबर, विटामिन ए, विटामिन सी एवं आयरन प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट कैंसर जैसी घातक रोगों में लाभदायक है। इसके साथ ही यह हृदय रोग, खून की कमी आदि के रोगों में भी फायदेमंद है। जड़ वाली सब्जियों में इसका एक विशेष स्थान है। आइए चुकंदर की खेती से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त करें।
मिट्टी एवं जलवायु
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चुकंदर की खेती के लिए समतल एवं उपजाऊ बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम है।
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इसके अलावा इसकी खेती दोमट मिट्टी या लवणीय मिट्टी में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है।
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मिट्टी का पीएच स्तर 6 से 7 होना चाहिए।
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चुकंदर की खेती के लिए ठंड का मौसम सर्वोत्तम है। हालांकि इसकी खेती गर्मी के मौसम में भी की जा सकती है।
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अधिक तापमान होने पर जड़ों में चीनी की मात्रा बढ़ने लगती है।
खेत की तैयारी
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खेत तैयार करते समय सबसे पहले एक बार गहरी जुताई करें।
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इसके बाद 2 से 3 बार हल्की जुताई करें।
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अच्छी फसल के लिए खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 4 टन गोबर की खाद मिलाएं।
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इसके साथ ही प्रति एकड़ खेत में 50 किलोग्राम यूरिया, 70 किलोग्राम डी.ए.पी. एवं 40 किलोग्राम एम.ओ.पी. मिलाएं।
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इसके बाद पाटा लगाकर खेत की मिट्टी को समतल एवं भुरभुरी बना लें।
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बीज की बुवाई के लिए खेत में 30 से 40 सेंटीमीटर की दूरी पर क्यारियां तैयार करें।
बीज की मात्रा एवं पौधों के बीच दूरी
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प्रति एकड़ खेत में 5 से 6 किलो बीज की आवश्यकता होती है।
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पौधों से पौधों के बीच करीब 15 से 20 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए।
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बीज की बुवाई 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई पर करें।
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बुवाई से पहले बीज को 12 घंटे तक पानी में भिगोकर रखें। इससे अंकुरण में आसानी होती है।
सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण
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चुकंदर की फसल को सिंचाई की अधिक आवश्यकता नहीं होती।
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आमतौर पर बुवाई के 15 दिनों बाद पहली सिंचाई एवं बुवाई के 20 दिनों बाद दूसरी सिंचाई की जाती है।
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इसके बाद 20 से 25 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।
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सिंचाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि खेत में जलजमाव न हो।
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खरपतवार पर नियंत्रण के लिए 25 से 30 दिनों बाद निराई-गुड़ाई करें।
फसल की खुदाई
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फसल को तैयार होने में 3 से 4 महीने का समय लगता है।
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फसल तैयार होने के समय पत्तियां सूखने लगती हैं।
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खुदाई से करीब 15 दिनों पहले सिंचाई का कार्य बंद कर दें।
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सिंचाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि जड़ों को नुकसान न हो।
हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसान इस जानकारी का लाभ उठा सकें। चुकंदर की खेती से जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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30 April 2021
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