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चना
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
3 year
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चने की फसल में उकठा रोग के लक्षण एवं नियंत्रण के तरीके

चने की फसल में उकठा रोग के लक्षण एवं नियंत्रण के तरीके

बदलते मौसम में चने की फसल में कई तरह के रोगों के होने की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन सही देखभाल एवं उचित प्रबंधन करने से हम अपनी फसलों को कई रोगों से निजात दिला सकते हैं। आज हम ऐसे ही एक रोग के बारे में बात करेंगे। चने की फसल में उकठा रोग होने पर फसल की भारी क्षति पहुंचती है। इस रोग का कारण, रोग के लक्षण एवं नियंत्रण के तरीके यहां से देखें।

उकठा रोग का कारण

  • यह एक फफूंद जनित रोग है।

  • बार-बार एक ही फसल की खेती करने से इस रोग के होने का खतरा बढ़ जाता है।

  • इस रोग के कारण फसल की उपज में 10 से 12 प्रतिशत तक कमी आती है।

  • इस रोग की शुरुआत मिट्टी एवं बीजों से होती है।

उकठा रोग का लक्षण

  • रोग की शुरुआत में पौधों की ऊपरी पत्तियां मुरझाने लगती हैं।

  • प्रभावित पौधों में फूल एवं फल नहीं बनते हैं।

  • रोग बढ़ने पर पौधे सूखने लगते हैं।

उकठा रोग पर नियंत्रण के तरीके

  • उकठा रोग से बचने के लिए फसल चक्र अपनाएं।

  • उकठा रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें।

  • चने की बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 1 ग्राम कार्बेंडाजिम से उपचारित करें।

  • प्रति किलोग्राम बीज को 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा से भी उपचारित किया जा सकता है।

  • खेत की जुताई करते समय प्रति एकड़ खेत में 1.5 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर मिलाएं।

  • प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर टेबुकोनाजोले मिलाकर पौधों की जड़ों में डालें। आवश्यकता के अनुसार 10 दिनों के अंतराल पर इस मिश्रण का दोबारा प्रयोग करें।

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हमें उम्मीद है इस पोस्ट में बताई गई दवाओं का प्रयोग कर के आप चने की फसल को उकठा रोग से बचा सकते हैं। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसान मित्रों के साथ साझा भी करें। चने की खेती से जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।

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