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चने की फसल में खरपतवार प्रबंधन
चने की फसल में खरपतवार प्रबंधन
चने की फसल में विभिन्न खरपतवारों के कारण पैदावार में 40 से 50 प्रतिशत तक कमी आती है। पैदावार में कमी के साथ फसलों की गुणवत्ता पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। अगर आप चने की खेती कर रहे हैं और कई तरह के घास एवं खरपतवारों की अधिकता से परेशान हैं तो यहां से इससे निजात पाने के उपाय देख सकते हैं।
चने की फसल में होने वाले खरपतवार
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चने की फसल में कई तरह के खरपतवार होते हैं। जिनमे हिरनखुरी, गाजरी, प्याजी, जंगली जई, मोथा, बथुआ, सेंजी, जंगली गाजर, आदि प्रमुख हैं।
खरपतवार से होने वाले नुकसान
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खरपतवार सभी तरह की फसलों के लिए हानिकारक है।
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इसकी अधिकता से पौधों को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिलता और पौधे कमजोर हो जाते हैं।
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चने के पौधों के विकास में बाधा आती है और पौधे छोटे रह जाते हैं।
खरपतवार प्रबंधन
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आवश्यकता के अनुसार कुछ समय के अंतराल पर निराई-गुड़ाई करते रहें।
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खेत में विभिन्न घासों को निकलने से रोकने के लिए बुवाई के 1 से 3 दिन के अंदर प्रति एकड़ खेत में 200 लीटर पानी में 700 मिलीलीटर पेंडीमेथिलीन 38.7 प्रतिशत सी.एस मिला कर छिड़काव करें।
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इसके अलावा बुवाई के 2-3 दिन के अंदर प्रति एकड़ खेत में 200 ग्राम एट्राजिन के प्रयोग से भी खरपतवारों से आसानी से निजात मिल सकता है।
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इस पोस्ट में बताए गए उपायों एवं दवाओं के प्रयोग से आप आसानी से खरपतवार पर नियंत्रण कर सकते हैं। यदि आपको यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी है तो इस पोस्ट को लाइक करें। साथ ही इसे अन्य किसान मित्रों के साथ साझा भी करें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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