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चने की फसल में इल्ली की रोकथाम के लिए करें यह काम
चने की फसल में इल्ली की रोकथाम के लिए करें यह काम
चने की फसल में इल्लियों का प्रकोप सबसे अधिक होता है। इल्लियों के प्रकोप के कारण चने की उपज में 15 से 20 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। समय रहते इन पर नियंत्रण नहीं किया गया तो 80 प्रतिशत तक फसल नष्ट हो सकती है। चने की फसल को इल्लियों से बचाने के लिए इल्लियों की पहचान, इससे होने वाले नुकसान एवं नियंत्रण के तरीके यहां से देखें।
कैसे करें चने की इल्ली की पहचान?
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पूर्ण रूप से विकसित कीट की लम्बाई 24 से 30 मिलीमीटर तक होती है।
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इल्लियों का रंग हरा, पीला एवं भूरा होता है।
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इसके शरीर पर धारियां बनी होती हैं।
क्या हैं प्रकोप का लक्षण?
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इस कीट का लार्वा पत्तियों के हरे भाग को खा कर फसल को नुकसान पहुंचाता है।
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बड़ी इल्लियां पत्तियों एवं फलियों में छेद करके अंदर के दानों को खाती हैं।
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फलियां अंदर से खोखली हो जाती हैं। परिणामस्वरूप पैदावार में कमी आती है।
कैसे करें नियंत्रण?
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इल्लियों के प्रकोप से बचने के लिए फसल चक्र अपनाएं।
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प्रति एकड़ खेत में 5 से 6 स्टिकी ट्रैप लगाएं।
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यदि संभव हो तो इल्लियों के अंडों को इकट्ठा करके नष्ट कर दें।
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जैविक विधि से नियंत्रण के लिए नीम के तेल का छिड़काव करें।
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150 लीटर पानी में 50 मिलीलीटर देहात कटर मिलाकर छिड़काव करने से इल्लियों पर नियंत्रण किया जा सकता है।
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इसके अलावा प्रति एकड़ खेत में 200 मिलीलीटर क्वीनालफॉस 25 ई.सी मिलाकर छिड़काव करें।
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हमें उम्मीद है इस पोस्ट में बताई गई दवाएं चने की इल्ली पर नियंत्रण के लिए कारगर साबित होंगी। यदि आपको यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसान मित्रों के साथ साझा भी करें। जिससे अन्य किसान मित्र भी चने की फसल को इल्लियों से बचा सकें। इससे जुड़े सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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