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चने की खेती के लिए आदर्श परिस्थितियां
Author : Lohit Baisla

चने की फसल में ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। इसके साथ ही इससे खेत की मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा भी संतुलित होती है। पूरी दुनिया में चना के उत्पादन का 70% उत्पादन भारत में किया जाता है। अगर आप इस रबी के मौसम में चने की खेती करने जा रहे हैं तो इसकी खेती के लिए आदर्श परिस्थितियों की जानकारी यहां से प्राप्त करें।
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इसकी खेती कई तरह की मिट्टी में की जा सकती है।
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अच्छी पैदावार के लिए रेतीली मिट्टी या चिकनी मिट्टी सबसे उपयुक्त है।
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दोमट मिट्टी एवं मटियार मिट्टी में भी इसकी खेती सफलता पूर्वक की जा सकती है।
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इस बात का विशेष ध्यान रखें कि मिट्टी का पी.एच स्तर 5.5 से 7 के बीच रहे।
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इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली भूमि का चयन करें।
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जल निकासी अच्छी नहीं हो तो फसल के खराब होने का खतरा बना रहता है।
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इसके साथ ही खारी या नमक वाली जमीन में इसकी खेती नहीं करनी चाहिए।
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अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए इसकी खेती ठंडक वाले क्षेत्रों में करें।
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अधिक वर्षा फसल के लिए हानिकारक साबित होती है।
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पौधों में फूल आने के समय यदि वर्षा हो तो फूल झड़ने लगते हैं। इससे फसल को भारी नुकसान होता है।
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एक ही खेत में हर वर्ष चने की खेती करने से बचें।
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इसके साथ ही मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बरकरार रखने के लिए एवं पौधों को कई तरह के रोग एवं कीट के प्रकोप से बचाने के लिए फसल चक्र अपनाएं।
इन बातों का ध्यान रख कर आप चने की बेहतर फसल प्राप्त कर सकेंगे। आपको यह जानकारी आवश्यक लगी है तो हमारे पोस्ट को लाइक करें और इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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1 October 2020
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