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चना : बेहतर पैदावार के लिए करें इन किस्मों का चयन

चना : बेहतर पैदावार के लिए करें इन किस्मों का चयन

हमारे देश में उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान एवं बिहार में चने की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। इसकी खेती के लिए शुष्क एवं ठंडे जलवायु की आवश्यकता होती है। चने की बेहतर पैदावार के लिए कई बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है। जिनमें उन्नत किस्मों की जानकारी होना भी आवश्यक है। आइए इस विषय में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

चने की कुछ उन्नत किस्में

  • आर एस जी 44 : सिंचित क्षेत्रों में खेती के लिए यह उपयुक्त किस्म है। इस किस्म के दानों का रंग पीला होता है। बुवाई के बाद फसल को पक कर तैयार होने में 145 से 150 दिनों का समय लगता है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 8 से 10 क्विंटल तक पैदावार होती है।

  • एच 208 : इस किस्म की खेती सिंचित एवं असिंचित दोनों क्षेत्रों में सफलतापूर्वक की जा सकती है। इस किस्म के दाने मध्यम आकार के एवं कत्थई रंग के होते हैं। फसल को पक कर तैयार होने में 130 से 150 दिनों का समय लगता है। सिंचित क्षेत्रों में खेती करने पर प्रति एकड़ भूमि में 6.4 से 8 क्विंटल तक पैदावार होती है। वहीं असिंचित क्षेत्रों में प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 4 से 6.4 क्विंटल तक पैदावार होती है।

  • हरियाणा चना न. 1 : यह किस्म बरानी, सिंचित एवं पछेती खेती के लिए उपयुक्त है। यह जल्दी पकने वाली किस्मों में शामिल है। इसके दाने पीले रंग के होते हैं। बुवाई के बाद फसल को पक कर तैयार होने में 135 से 140 दिनों का समय लगता है।अन्य किस्मों की तुलना में इस किस्म में फली छेदक कीट का प्रकोप कम होता है। इसके साथ ही यह किस्म उखेड़ा रोग के प्रति सहनशील है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 8.4 से 10 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

  • सम्राट : यह किस्म सिंचित एवं असिंचित दोनों क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त है। इस किस्म के पौधों की ऊंचाई 55 से 65 सेंटीमीटर होती है। फसल को पकने में 120 से 130 दिनों का समय लगता है। सिंचित क्षेत्रों में प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 8 से 9.6 क्विंटल एवं असिंचित क्षेत्रों में प्रति एकड़ 6.4 से 7.2 क्विंटल तक पैदावार होती है।

इन किस्मों के अलावा हमरे देश में चने की कई अन्य किस्मों की खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है। जिनमें प्रताप चना 1, जीएनजी 1958, काक 2, पूसा 209, पूसा 362, दाहोद यलो, गणगौर, वरदान, पूसा धारवाड़ प्रगति, जे जी के- 2, आदि कई अन्य किस्में शामिल हैं।

हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो हमारे पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसान मित्र चने की इन किस्मों की खेती कर के बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।

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