पौष्टिक एवं स्वादिष्ट मांस के कारण बटेर को सबसे अधिक पसंद किया जाता है। कम लागत में भी बटेर पालन के व्यवसाय की शुरुआत की जा सकती है। बटेर की बढ़वार तेजी से होती है इसलिए इससे मुनाफा भी अधिक होता है। बटेर के अंडों की मांग भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में बटेर पालन आजीविका एवं आय में वृद्धि का एक बेहतर विकल्प बनकर उभर रहा है। अगर आप भी बटेर पालन करना चाहते हैं तो इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां यहां से प्राप्त करें।
बटेर पालन के लाभ
आकार में मुर्गी एवं बत्तख से छोटे होने के कारण बटेर पालन में कम जगह की आवश्यकता होती है।
एक मुर्गी रखने के स्थान में 10 बटेर के बच्चे रखे जा सकते हैं।
बटेर मुर्गियों एवं बत्तख की तुलना में जल्दी बड़े हो जाते हैं।
मादा बटेर 6 से 7 सप्ताह में अंडे देना शुरू कर देती हैं।
5 सप्ताह की आयु के बटेर बिक्री के लिए तैयार हो जाते हैं।
एक मादा बटेर प्रति 250 से 300 अंडे दे सकती है।
बटेर की मांस में वसा की मात्रा कम होती है। इसलिए मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए इसका सेवन लाभदायक है।
मुर्गियों की तुलना में बटेर में रोगों के होने की संभावना भी कम होती है।
बटेर पालन के लिए कैसा हो आवास?
बटेर एक तरह का जंगली पक्षी है जो ज्यादा दूरी तक उड़ नहीं सकते इसलिए इनका पालन पिंजरा बनाकर किया जा सकता है।
पिंजरे के अंदर ताजी हवा एवं प्रकाश की उचित व्यवस्था करें।
बटेर के चूजों को पहले 2 सप्ताह तक करीब 29 घंटे प्रकाश की आवश्यकता होती है।
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हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। अपने आने वाले पोस्ट में हम बटेर पालन की अधिक जानकारी आपके साथ साझा करेंगे। यदि आपको यह जनकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसान मित्रों के साथ साझा भी करें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें। पशु पालन एवं कृषि संबंधी अधिक जानकारियों के लिए जुड़े रहें देहात से।
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