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बरसीम की खेती की सम्पूर्ण जानकारी
Author : Lohit Baisla

बरसीम पशुओं के चारे के तौर पर प्रयोग की जाने वाली एक प्रमुख फसल है। यह पशुओं के लिए बहुत पौष्टिक होता है। अन्य चारे वाली फसलों की तुलना में इसका स्वाद भी बेहतर होता है तभी तो पशु भी इसे बड़े चाव से खाते हैं। इसकी बढ़वार जल्दी होती है और इसकी खेती से मिट्टी की उर्वरक क्षमता में भी बढ़ोतरी होती है। इसलिए बरसीम की खेती कर के किसान कम समय में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। बरसीम की खेती से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें यहां से देखें।
मिट्टी एवं जलवायु
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इसकी खेती के लिए भारी मिट्टी सबसे उपयुक्त है।
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यदि सिंचाई की अच्छी सुविधा है तो इसकी खेती हल्की दोमट मिट्टी में भी की जा सकती है।
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खेत का चयन करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि मिट्टी की जल धारण करने की क्षमता बेहतर हो।
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ठंडी जलवायु में खेती करने पर बेहतर फसल प्राप्त कर सकते हैं।
खेत की तैयारी एवं उर्वरक की मात्रा
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सबसे पहले मिट्टी पलटने वाली हल से खेत की 1 बार गहरी जुताई करें।
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इसके बाद 3 से 4 बार हैरो या कल्टीवेटर से हल्की जुताई करें।
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जुताई के बाद खेत में पाटा लगा दें। इससे खेत की मिट्टी समतल हो जाएगी।
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प्रति एकड़ खेत में 10 किलोग्राम नाइट्रोजन, 32 किलोग्राम फास्फोरस और 8 किलोग्राम पोटाश मिलाएं।
सिंचाई
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हल्की मिट्टी में 3 से 5 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
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भारी मिट्टी में 6 से 8 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
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ठंड के मौसम में 10 से 12 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।
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यदि आप गर्मी के मौसम में खेती कर रहे हैं तो 8 से 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
कटाई
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बुवाई के करीब 50 से 55 दिनों बाद पहली कटाई करें।
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इसके बाद 25 से 30 दिनों के अंतराल पर इसकी कटाई करते रहें।
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गर्मी के मौसम में 35 से 40 दिनों के अंतराल पर कटाई करनी चाहिए।
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फसल की कटाई जमीन की सतह से 5 से 7 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर करें।
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हरे चारे के लिए बरसीम की खेती की अधिक जानकारी यहां से प्राप्त करें।
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25 November 2020
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