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डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
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बीन्स : माहु और चेपा कीट के प्रकोप से ऐसे करें बचाव

बीन्स : माहु और चेपा कीट के प्रकोप से ऐसे करें बचाव

बीन्स एक दलहनी और फलीदार सब्जी है। इसके पौधों का इस्तेमाल हरी खाद और पत्तियों का उपयोग पशु चारे के लिए किया जाता है। बीन्स की फली सेहत के लिए काफी अच्छी होती है। इसलिए बाजार में इसकी मांग बनी रहती है। बिन्स की फलियों में कई बिमारियों एवं कीटों का प्रकोप देखने को मिलता है। इनमें से एक कीट है माहू या चेपा कीट। इस कीट के प्रभाव से फसल की गुणवत्ता और उत्पादन पर असर पड़ता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको इन कीटों पर नियंत्रण के उपाय बताएंगे।

माहू या चेपा कीट के कारण एवं पहचान

  • इस कीट का प्रकोप बादल होने या धुंध के समय अधिक होता है।

  • यह काले या हरे रंग का कीट होता है।

माहू या चेपा कीट से होने वाले नुकसान

  • इसके प्रकोप से पत्तियां और टहनियां मुड़ने लगती हैं और पीली पड़ जाती हैं।

  • माहू कीट पत्तियों, शाखाओं तथा फलियों से रस चूसते हैं।

  • इसके कारण पत्तियों में नमी और पोषक तत्वों की मात्रा कम हो जाती है।

  • इससे पौधों का विकास रुक जाता है।

  • माहू का अधिक प्रकोप होने पर पौधों में फफूंद लग जाते हैं।

  • कुछ समय बाद पौधा सूख कर मर जाता है।

रोकथाम के उपाय

  • माहू से प्रभावित पौधों व फलियों को तोड़कर नष्ट कर दें।

  • हल्के संक्रमण के लिए 500 - 600 मिली/एकड  नीम के तेल को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रभावित पौधों पर छिड़क दें।

  • रोकथाम के लिए 250 मिलीलीटर मैलाथियान 50 ई सी को 250 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से फसल पर छिड़काव करें ।

  • एजाडिरेक्टिन 5 प्रतिशत की 0.5 मिलीलीटर को प्रति लीटर पानी की दर से 10 दिनों के अन्तराल पर छिड़कें।

  • 30 मिलीलीटर फिप्रोनिल 5% या थियामेथोक्साम 25% - 10 ग्राम को 15 लीटर पानी में मिला कर छिड़कें।

  • मिट्टी को ध्यान में रखते हुए ही उर्वरकों का प्रयोग करें।

  • संतुलित मात्रा में सिंचाई करें।

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