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बीज उपचार
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
3 year
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बीज उपचार करने के तरीके

बीज उपचार करने के तरीके

स्वस्थ एवं उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त करने के लिए रोपाई से पहले बीज को उपचारित करना बहुत जरूरी है। बीज उपचारित करने से अंकुरण में आसानी होती है। इसके साथ मिट्टी से होने वाले कई रोग एवं कीटों के प्रकोप की संभावना भी कम हो जाती है। यदि आप बीज उपचारित करने की प्रक्रिया से अनजान हैं तो इस पोस्ट को पूरा पढ़ें। यहां से आप स्वस्थ बीज का चयन एवं बीज उपचारित करने की विधि देख सकते हैं।

कैसे करें स्वस्थ बीज का चयन?

  • स्वस्थ बीज के चयन के लिए सबसे आसान प्रक्रिया है नमक मिले पानी का प्रयोग करना।

  • इस प्रक्रिया में 1 किलोग्राम नमक को लगभग 10 लीटर पानी में मिला कर घोल तैयार किया जाता है।

  • इसके बाद तैयार किए गए इस नमक के घोल में 15 किलोग्राम बीज डालें।

  • इस प्रक्रिया में स्वस्थ बीज पानी के अंदर चले जाते हैं और अस्वस्थ बीज हल्के होने के कारण पानी के ऊपर तैरने लगते हैं।

  • अब आप आसानी से अस्वस्थ बीज को अलग कर सकते हैं।

  • बचे हुए स्वस्थ बीज को पानी से अच्छी तरह साफ करें और किसी छाया वाली जगह में रखें।

कैसे करें बीज को उपचारित?

बीज को उपचारित करने की कई प्रक्रिया होती है। यहां से आप बीज उपचारित करने की विभिन्न प्रक्रिया की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

  • बीज ड्रेसिंग : बीज उपचारित करने की सबसे सरल प्रक्रिया होने के कारण इस प्रक्रिया का प्रयोग सबसे अधिक किया जाता है। बीज ड्रेसिंग प्रक्रिया में बीज को दवाओं के सूखे मिश्रण या घोल से उपचारित किया जाता है।

  • बीज कोटिंग : बीज कोटिंग प्रक्रिया में बीज पर दवाओं को चिपकाने के लिए एक विशेष बाइंडर का प्रयोग किया जाता है।

  • बीज पैलेटिंग : इस प्रक्रिया में बीज के आकार में परिवर्तन कर के बीज की हैंडलिंग बेहतर की जाती है। बीज पैलेटिंग के लिए विशेष मशीन एवं तकनीकों की आवश्यकता होती है। बीज उपचारित करने की यह सबसे महंगी प्रक्रिया है। लागत अधिक होने के कारण आमतौर पर किसानों के द्वारा इसका प्रयोग कम किया जाता है।

क्या है बीज उपचारित करने की जैविक प्रक्रिया?

फफूंद नाशक दवाओं के प्रयोग से बचने के लिए जैविक प्रक्रिया से भी बीज उपचारित किया जा सकता है।

  • बीजामृत से उपचार : जैविक  उपचारित करने के लिए बीजामृत का प्रयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में 50 ग्राम गोबर, 50 मिलीलीटर गौ मूत्र, 50 मिलीलीटर गाय का दूध और करीब 2 से 3 ग्राम चूना को 1 लीटर पानी में मिला कर रात भर रख दिया जाता है। अगली सुबह इस मिश्रण से बीज को उपचारित कर सकते हैं।

यदि आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी महत्वपूर्ण लगी है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसान इसका लाभ उठा सकें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।

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