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भिंडी : फल छेदक कीट की समस्या का समाधान
Author : Surendra Kumar Chaudhari

भिंडी को ओकरा, लेडी फिंगर, राम तरोई, आदि कई नाम से जाना जाता है। हरी सब्जियों में इसे बहुत पसंद किया जाता है। इसका सेवन कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक है। इसके साथ ही यह मधुमेह एवं एनीमिया के रोगियों के लिए भी फायदेमंद है। भिंडी के अनेक लाभ होने के कारण इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। लेकिन कई बार फल छेदक कीटों के प्रकोप के कारण भिंडी की फसल को भारी क्षति पहुंचती है। भिंडी की फसल को फल छेदक कीट के प्रकोप से बचाने के तरीके यहां से देखें।
फल छेदक कीट कैसे पहुंचाते हैं भिंडी की फसल को नुकसान?
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कीट की इल्लियां पौधे के कोमल तने में छेद करती हैं। फलस्वरूप तना एवं पौधों का ऊपरी भाग सूखने लगता है।
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कुछ समय बाद यह कीट फलों में छेद करते हैं और फलों को अंदर से खा कर फसल को हानि पहुंचाते हैं।
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प्रभावित फलों का आकार टेढ़ा-मेढ़ा हो जाता है।
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भिंडी के फलों में छेद दिखने लगते हैं।
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फल छेदक कीट का प्रकोप बढ़ने पर फल एवं फूल विकसित होने से पहले ही झड़ने लगते हैं।
फल छेदक कीट पर कैसे करें नियंत्रण?
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फल छेदक कीट पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 6 से 8 फेरोमोन ट्रैप लगाएं।
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इस कीट को फैलने से रोकने के लिए प्रभावित हिस्सों को पौधों से अलग कर के नष्ट कर दें।
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150 लीटर पानी में 50 मिलीलीटर देहात कटर मिला कर छिड़काव छिड़काव करने से इस कीट पर आसानी से नियंत्रण किया जा सकता है।
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इसके अलावा फल छेदक कीट पर नियंत्रण के लिए प्रति लीटर पानी में 5 मिलिटर नीम का तेल मिला कर छिड़काव भी कर सकते हैं।
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भिंडी की अच्छी पैदावार के लिए आवश्यक कार्यों की जानकारी यहां से प्राप्त करें।
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9 April 2021
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