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भिंडी की पत्तियों में पीलेपन की समस्या एवं समाधान
भिंडी की पत्तियों में पीलेपन की समस्या एवं समाधान
भिंडी की फसल में पत्तियों का पीला पड़ना एक बड़ी समस्या है, जो सामान्यतः रस चूसक कीटों के कारण देखने को मिलती है। इन कीटों में माहू कीट भी शामिल हैं। पौधे में तेजी से संक्रमण के लिए मादा कीट अधिक कुशल होती हैं, जो पौधों की पत्तियों पर झुंड में हमला करके पत्तियों का हरा रस चूस लेती हैं। शुरुआती समय में संक्रमित पत्तियों में केवल शिराओं में पीलापन देखने को मिलता है जो कुछ ही समय में पूरी पत्तियों पर फैल जाता है। भिंडी की फसल में नुकसान का यह एक बड़ा कारण है, जिसे समय पर पहचान और नियंत्रण के तरीके अपना कर बचाया जा सकता है।
भिंडी की पत्तियों में पीलापन की समस्या से होने वाले नुकसान
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पौधों में अंकुरण के 20 दिन के अंतर्गत संक्रमण होने पर पौधे अविकसित रह जाते हैं।
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पत्तियां पूरी तरह से पीली होकर सूखने लगती हैं।
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फूल लगने के बाद संक्रमण होने पर फल पीले और सख्त होते हैं।
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तने के निचले हिस्से में छोटी-छोटी कोंपले आने लगती हैं।
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फलों का आकार घट जाता है।
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बाजार में उचित मूल्य नहीं मिल पाता है।
भिंडी की पत्तियों में पीलापन की समस्या से से बचाव के तरीके
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उचित फसल चक्र अपनाएं।
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गर्मियों में पौधों के रोपण से बचें।
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प्रभावित पौधों को हटा दें।
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कीटों को आकर्षित करने के लिए फसल के बीच में मक्का या गेंदे की पंक्तियां लगाएं।
भिंडी की पत्तियों में पीलापन की समस्या पर नियंत्रण के लिए रासायनिक उपाय
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एसिटेमीप्रिड 20 एस पी की 16 ग्राम मात्रा का एक एकड़ खेत के अनुसार छिड़काव करें।
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इमिडाक्लोप्रिड की 5 ग्राम मात्रा का प्रयोग प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करने के लिए करें।
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भिंडी में फूल आने के समय इमिडाक्लोप्रिड 70.00% डब्ल्यू जी की 14 ग्राम मात्रा का प्रति एकड़ के अनुसार छिड़काव करें।
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पौधों पर नीम के तेल का छिड़काव करें।
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आवश्यकता पड़ने पर 10 दिनों के अंतराल में दोबारा छिड़काव करें।
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