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भिंडी और बैंगन में लगने वाला लाल मकड़ी कीट एवं रोकथाम के उचित उपाय
भिंडी और बैंगन में लगने वाला लाल मकड़ी कीट एवं रोकथाम के उचित उपाय
सब्जियों में काफी कीटों का प्रकोप देखने को मिलता है। ऐसा ही एक कीट है लाल मकड़ी। इसके प्रकोप से फसलों का उत्पादन कम हो जाता है। बैंगन और भिंडी की फसल में आमतौर पर इस कीट का प्रकोप देखने को मिलता है। यह मकड़ी अपने रंग के कारण पहचानी जाती है। अगर समय से इसका नियंत्रण न किया जाए तो फसल नष्ट हो जाती है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम किसानों को लाल मकड़ी के लक्षण एवं बचाव के तरीके बताएंगे।
लाल मकड़ी कीट के लक्षण
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लाल मकड़ी छोटे-छोटे कीट हैं जो पत्तियों की निचली सतह में कॉलोनी बना कर रहती हैं।
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यह पत्तियों से रस चूसती है। इससे पौधों में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।
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इससे पत्तियों और कलियों में प्रकाश संश्लेषण कम हो जाता है।
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इसके कारण पत्तियां मुरझा जाती हैं और पौधों का विकास रुक जाता है।
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इसके प्रकोप से फल कम पकते हैं या कच्चे ही गिर जाते हैं।
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अधिक संक्रमण होने पर पौधों में जाले दिखाई देते हैं।
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यह कीट मार्च से अक्टूबर तक अधिक सक्रिय रहता है।
रोकथाम के लिए
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इसकी रोकथाम के लिए फसल चक्र अपनाएं।
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प्रभावित पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर दें।
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उचित मात्रा में खाद का प्रयोग करें।
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इसके अलावा डायमिथोएट 30 ई.सी. या मिथाइल डिमेटान 25 ई.सी. की 1 मिलीलीटर मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर 15 दिनों के अंतर पर 2 बार छिड़कें।
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स्पाइरोमेसिफेन 22.90% ई.सी की 200 मिलीलीटर दवा को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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फूल आने के तुरन्त बाद कार्बेरिल 50 डब्ल्यू पी 2 ग्राम प्रति लीटर या मोनोक्रोटोफोस 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी का छिडकाव करें।
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5 मिलीलीटर नीम के तेल को प्रति लीटर पानी के साथ छिडकाव करें, छिड़काव के समय घोल में टीपोल मिलाएं जिससे यह असरदार रहे।
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फेनाजेक्विन 10 % ई.सी. की 500 मिलीलीटर मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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