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मशरुम
विभा कुमारी
कृषि विशेषयज्ञ
2 year
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बेहतर पैदावार के लिए इस तरह करें पैडीस्ट्रॉ मशरुम की खेती

बेहतर पैदावार के लिए इस तरह करें पैडीस्ट्रॉ मशरुम की खेती

मशरुम प्रोटीन का एक बेहतर स्रोत है। इसकी कई किस्में होती हैं। लेकिन हमारे देश में व्यावसायिक तौर पर मुख्यतः 3 किस्मों की खेती की जाती है। जिनमें बटन मशरुम, ऑएस्टर (ढींगरी) मशरुम एवं पैडीस्ट्रॉ मशरुम शामिल है। इस किस्म के मशरुम को धानपुआल मशरुम के नाम से भी जाना जाता है। आइए पैडीस्ट्रॉ मशरुम पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

पैडीस्ट्रॉ मशरुम की पहचान

  • पैडीस्ट्रॉ मशरुम गहरे रंग के एवं खाने में स्वादिष्ट होते हैं।

  • इसकी खेती मुख्यतः समुद्र के किनारे की जाती है।

  • पैडीस्ट्रॉ मशरुम की खेती का उपयुक्त समय

  • इसकी खेती के लिए मध्य मई से सितंबर के मध्य तक का समय सर्वोत्तम है।

उपयुक्त जलवायु

  • इसकी बेहतर पैदावार के लिए 34 से 38 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकता होती है।

  • वातावरण में 80 से 85 प्रतिशत नमी की आवश्यकता होती है।

  • इसकी खेती कमरे के अंदर एवं बाहर खुले स्थान में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है।

  • खुले स्थान में पैडीस्ट्रॉ मशरुम की खेती का सही तरीका

  • सबसे पहले 100 सेंटीमीटर लम्बी, 60 सेंटीमीटर चौड़ी एवं 15 से 20 सेंटीमीटर ऊंची क्यारियां तैयार करें।

  • वर्षा एवं धूप से बचाने के लिए क्यारियों के ऊपर शेड तैयार करें।

  • इसके बाद धान के पुआल को 7-8 सेंटीमीटर व्यास एवं 70 से 80 सेंटीमीटर की लम्बाई वाले गट्ठर में बांधें।

  • अब पुआल के गट्ठर को 12 से 16 घंटों तक पानी में डाल कर रखें।

  • इसके बाद पुआल को पानी से निकाल कर फैलाएं। इससे अतिरिक्त पानी निकल जाएगी।

  • पहले से तैयार की गई क्यारियों में बांस का ढांचा बना कर रखें।

  • बांस के ढांचों में पुआल के गट्ठरों से भरें। पुआल के गट्ठरों की 4 परत एक के ऊपर एक रखें।

  • इसके बाद पैडीस्ट्रॉ मशरुम का बीज डालें और धान या गेहूं के भूसे से  ढकें।

  • इसके ऊपर फिर से 4 परत पुआल की रख कर प्रक्रिया को 3 बार दोहराएं।

  • सबसे अंत में पुआल के ढेर को प्लास्टिक की पारदर्शी परत से ढकें।

  • इस प्रक्रिया के 7-8 दिनों बाद पैडीस्ट्रॉ मशरुम का कवक जाल की तरह फैल जाएगा।

  • कवक का जाल फैलने के बाद प्लास्टिक की परत को हटाएं और पुआल सूखी लगे तो पानी का छिड़काव करें।

  • बिवाई के करीब 15 से 18 दिनों बाद क्यारियों में मशरुम नजर आने लगेंगे।

  • मशरूम का ऊपरी सिरा (झिल्ली/वोल्वा) फटने पर इसकी तुड़ाई करें।

पैदावार

  • प्रत्येक क्यारी से 2 से 2.5 किलोग्राम तक मशरुम प्राप्त किया जा सकता है।

  • 100 किलोग्राम गीले पुआल से करीब 12 से 13 किलोग्राम तक मशरुम की पैदावार होती है।

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