पोस्ट विवरण
सुने
सरसों
डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
1 year
Follow

बढ़ती सरसों की फसल में आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा

बढ़ती सरसों की फसल में आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा

फसल की बढ़ती वृद्धि के साथ फसल में धीरे-धीरे पोषक तत्वों की कमी के लक्षण भी उभरने लगते हैं। ये लक्षण विभिन्न तत्वों के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं, जिसके लिए किसानों को लक्षण की पहचान एवं उसके बाद अपनाए जाने वाले प्रबंधन की जानकारी का होना आवश्यक है। कृषि में पौधों की बढ़वार के लिए सामान्यतः 17 पोषक तत्व जरूरी माने गए हैं। ये तत्व सूक्ष्म और मुख्य रूप से अलग-अलग विभाजित किए गए हैं जिनकी पूर्ति फसल में  भौतिक, प्राकृतिक एवं रासायनिक तौर पर की जाती है।

सरसों भारत में एक मुख्य तिलहन फसल के रूप में जानी जाती है, जिसमें तेल की मात्रा बढ़ाने में पोषक तत्वों के संतुलन की महत्ता का बड़ा हाथ है। इसके अलावा फसल में अंकुरण से लेकर फसल की कटाई तक भी अलग-अलग समय पर आवश्यकतानुसार मात्रा में पोषक तत्व, बाह्य खाद के रूप में दिए जाते हैं, जो फसल की बेहतर वृद्धि और फसल से बेहतर पैदावार प्राप्त करने में मदद करते हैं। तो आइये जानते हैं सरसों की फसल के लिए आवश्यक कुछ प्रमुख पोषक तत्वों की संक्षिप्त जानकारी।

नाइट्रोजन: नाइट्रोजन पौधों में प्रोटीन की पूर्ति करने के लिए जाना जाने वाला पोषक तत्व है, जिसकी कमी पौधों की पुरानी (निचली ) पत्तियों के पीले होते रंग से पहचानी जा सकती है। इसके अलावा पौधों का विकास रुकना, पौधों में कम शाखाएं निकलना और फसल का जल्दी पक जाना भी फसल में नाइट्रोजन की कमी की ओर इशारा करता है। सरसों की फसल में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए एन.पी.के. 19:19:19 का छिड़काव 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में एक बेहतर विकल्प है। इस उत्पाद में फास्फोरस एवं पोटेशियम की निश्चित मात्रा उपलब्ध होने पर इनका प्रयोग फास्फोरस एवं पोटेशियम तत्व की पूर्ति के लिए भी किया जा सकता है।

फास्फोरस : फास्फोरस की कमी होने पर इसके लक्षण सबसे पहले पौधों की निचली पत्तियों पर नजर आते हैं। इसकी कमी के कारण पत्तियां बैंगनी से गहरे नीले एवं लालिमा लिए हरे रंग की हो जाती है एवं पौधों के तने पतले एवं छोटे ही रह जाते हैं। इसके अलावा जड़ो का उचित रूप से विकास न हो पाना भी फसल में फास्फोरस की कमी को प्रदर्शित करता है।

पोटैशियम: पोटैशियम की कमी होने पर पौधों की निचली पत्तियां झुलस कर मुरझाने लगती हैं साथ ही नई पत्तियां आकार में छोटी रह जाती हैं।

सल्फर: सरसों की फसल में तेल की मात्रा बढ़ाने के लिए सरसों एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा खड़ी फसल में पीले पड़ते और अंदर की ओर मुड़ते पत्ते भी फसल में सल्फर की कमी को प्रदर्शित करते हैं, जो अधिक अभाव के कारण बैंगनी रंग और कटोरानुमा आकार के हो जाते हैं। फसल में सल्फर की कमी को शुरूआती दिखते लक्षण के द्वारा पूरा किया जाना आवश्यक है।

मोलिब्डेनम: सरसों प्रजाति के पौधों व दलहनी फसलों में मोलिब्डेनम की कमी पत्तियों में पीले रंग की पत्तियों के साथ चितकबरे धब्बों के साथ देखा जाती है। यह तत्व फसल में नाइट्रोजन के स्थिरीकरण एवं विटामिन-सी व शर्करा के संश्लेषण में भी सहायक पाया गया है।

यह भी पढ़ें:

सरसों की फसल में तेल की मात्रा बढ़ाने के लिए समय-समय पर उर्वरक प्रबंधन एक महत्वपूर्ण कारक है। जिसके लिए आप बुवाई के समय पर देहात स्टार्टर और बूस्ट मास्टर जैसे प्रभावी उत्पाद प्रयोग में ला सकते हैं। फसल में आने वाली किसी भी प्रकार की समस्या की रोकथाम एवं प्रबंधन के लिए टॉल फ्री नंबर 1800 1036 110 के माध्यम से देहात के कृषि विशेषज्ञों से जुड़कर उचित सलाह लें और समय पर अपने फसल का बचाव करें। आप अपने नज़दीकी देहात केंद्र से जुड़कर और हाईपरलोकल सुविधा से उर्वरक एवं कीटनाशक खरीद जैसी सुविधा का फायदा भी उठा सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए जुड़े रहें देहात से।


5 Likes
Like
Comment
Share
फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ

फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ