बैंगन के पौधों में कई तरह के कीड़ों और रोगों का प्रकोप रहता है। इन कीटों से बैंगन की फसल को बहुत नुकसान होता है। पौधों की सही देखभाल कर हम अपने पौधों को इनसे बचा सकते हैं। तो चलिए जानते हैं कुछ प्रमुख रोगों और कीटों के बारे में।
बैंगन के पौधों में लगने वाले कीट
तना एवं फल बेधक : यह कीट पत्तों के साथ बैंगन को भी अंदर से खाते हैं। इससे फसल को बहुत नुकसान होता है।
लाल मकड़ी : लाल मकड़ी पत्तों के नीचे जाल फैलाती है और पत्तों का रस चूसती है। इसके कारण पत्ते लाल रंग के दिखने लगते हैं।
जैसिड : यह कीट भी पत्तों के नीचे लग कर उसका रस चूसते हैं। इससे पत्तियां पीली और पौधे कमजोर हो जाते हैं।
जड़ निमेटोड : इससे पौधों की जड़ों में गांठ बन जाता है। पत्तों का पीला होना और उनका विकास रुक जाना इसका प्रमुख लक्षण है।
एपीलैक्ना बीटल : यह पत्तों को खाने वाला लाल रंग का छोटा कीड़ा होता है।
बैंगन के पौधों में होने वाले रोग
बिचड़ा गलन (डैम्पिंग ऑफ़) : इस रोग के कारण बीज प्रस्फुटित हो कर मर जाते हैं। इसके अलावा इस रोग से बिचड़ा भी बड़ा हो कर मर जाता है।
छोटे पत्तों का रोग : इस रोग के कारण पत्ते छोटे हो जाते हैं और पौधों में फसल नहीं लगती है।
जीवाणु उखड़ा : इस रोग में पौधों के विकास रुक जाता है। पत्ते पीले होने के बाद पौधे सूख जाते हैं।
मोजैक : यह रोग एक प्रकार के जीवाणु के कारण होता है। इस रोग में पत्तों पर मोजैक जैसा दिखने लगता है।
फोमोप्सिस अंगमारी : इस रोग में पत्तों के साथ जमीन से सटे बैंगन पर धब्बे बनने लगते हैं। इसके साथ ही पत्ते पीले हो कर झड़ने भी लगते हैं।
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