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बैंगन के पौधों की रोपाई के समय रखें इन बातों का ध्यान
बैंगन के पौधों की रोपाई के समय रखें इन बातों का ध्यान
सब्जियों वाली फरसालों में बैंगन की खेती प्रमुखता से की जाती है। इसकी खेती देश के लगभग सभी क्षेत्रों में आसानी से की जा सकती है। बैंगन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी खेती गर्मी के मौसम और ठंड के मौसम के साथ वर्षा ऋतू में भी की जाती है। अगर आप भी इस मौसम करना चाहते हैं बैंगन की खेती तो अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए पौधों की रोपाई के समय कुछ बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है। आइए जानते हैं बैंगन के पौधों की रोपाई के समय ध्यान में रखने वाली कुछ महत्वपूर्ण बातें।
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वर्षा ऋतू में फसल प्राप्त करने के लिए बैंगन की रोपाई मार्च-अप्रैल महीने में करें।
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नर्सरी में बीज की रोपाई के 21 से 25 दिनों बाद पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
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जब पौधों में 3-4 पत्तियां निकल जाए तब मुख्य खेत में पौधों की रोपाई करें।
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पौधों की रोपाई के लिए शाम का समय उपयुक्त है।
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मुख्य खेत में पौधों की रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें।
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पौधों की रोपाई क्यारियों में करनी चाहिए।
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पौधों के उचित विकास के लिए क्यारियों के बीच एवं पौधों के बीच एक निश्चित दूरी रखें।
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सभी क्यारियों के बीच करीब 60 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
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पौधों की रोपाई 50 सेंटीमीटर की दूरी पर करें।
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यदि आप संकर किस्मों की खेती कर रहे हैं तो पौधों के बीच 60 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए।
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गर्म मौसम में सिंचाई की अधिक आवश्यकता होती है।
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वर्षा ऋतू में वर्षा होने पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
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मौसम के अनुसार 3 से 5 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
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