बैंगन के पौधों में कई तरह के रोगों का प्रकोप रहता है। इन रोगों के प्रकोप के कारण बैंगन के पौधों में फल-फूल नहीं आते हैं। यदि पौधों में फल-फूल आ भी गए तो गिरने एवं सड़ने लगते हैं। कई बार पौधों के विकास में बाधा आती है और पौधे नष्ट हो जाते हैं। जिससे किसानों को फायदे की जगह नुकसान का सामना करना पड़ता है। आइए बैंगन के पौधों में होने वाले कुछ प्रमुख रोगों की विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
बैंगन के पौधों में होने वाले कुछ प्रमुख रोग
बिचड़ा गलन रोग : छोटे पौधों में इस रोग के होने की संभावना अधिक होती है। इस रोग के होने पर बीज के अंकुरण में बाधा आती है। यदि बीज अंकुरित हो भी गई तो पौधों की पत्तियों एवं तने पर छोटे-छोटे काले धब्बे उभरने लगते हैं। पौधों का तना एवं जड़ सड़ने लगते हैं। पौधों को इस रोग से बचाने के लिए प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी या 3 ग्राम कार्बेन्डाज़िम 50 प्रतिशत से उपचारित करें। 10 लीटर पानी में 100 ग्राम ट्राइकोडर्मा मिला कर घोल तैयार करें। मुख्य खेत में पौधों की रोपाई से पहले जड़ों को 10 मिनट तक इस घोल में डुबो कर रखें।
फल सड़न रोग : इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों पर भूरे रंग के गोलाकार धब्बे उभरने लगते हैं। बैंगन के फलों पर भूरे, मुलायम, गीले एवं सिकुड़े हुए धब्बे नजर आने लगते हैं। कुछ समय बाद फलों के सड़े हुए भाग पर सफेद रंग के कवक नजर आने लगते हैं। धब्बों के आकार में वृद्धि होती है और फूल काले हो कर सूखने लगते हैं। रोग से प्रभावित पत्तियों, फलों एवं फूलों को तोड़ कर नष्ट कर दें। इस रोग से पौधों को बचाने के लिए 15 लीटर पानी में 25 से 30 ग्राम देहात फुलस्टॉप मिला कर छिड़काव करें। इसके अलावा आप प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम मैंकोज़ेब या जिनेब मिला कर भी छिड़काव कर सकते हैं।
छोटी पत्ती रोग : यह एक विषाणु जनित रोग है। इस रोग से प्रभावित पौधों की ऊपर की पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं। पत्तियों का आकार छोटा हो जाता है। पौधों में फल नहीं आते हैं। यदि फल आ भी गए तो फलों का आकार भी छोटा रह जाता है। इस रोग को फैलने से रोकने के लिए रोग से प्रभावित छोटे पौधों को निकाल कर नष्ट कर दें। रोग पर नियंत्रण के लिए 15 लीटर पानी में 5 मिलीलीटर देहात हॉक मिला कर छिड़काव करें। जैविक विधि से इस रोग पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ भूमि में 250 ग्राम बवेरिया बेसियाना पाउडर का बुरकाव करें।
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