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बैंगन के पौधों में छोटी पत्ती रोग के कारण, लक्षण एवं बचाव
बैंगन के पौधों में छोटी पत्ती रोग के कारण, लक्षण एवं बचाव
छोटी पत्ती रोग को विभिन्न क्षेत्रों में बांझी रोग एवं लिटिल लीफ डिजीज के नाम से भी जाना जाता है। बैंगन की फसल में छोटी पत्ती रोग होने पर पैदावार एवं फलों की गुणवत्ता पर बुरा असर होता है। यदि आप बैंगन की खेती कर रहे हैं तो अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए इस रोग का कारण, लक्षण एवं इस पर नियंत्रण के तरीकों की जानकारी होना बहुत जरूरी है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम छोटी पत्ती रोग पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
छोटी पत्ती रोग का कारण
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यह एक विषाणु जनित रोग है।
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लीफ हॉपर (फुदका कीट) इस रोग को एक पौधे से दूसरे पौधों में फैलाने का काम करते हैं।
छोटी पत्ती रोग के लक्षण
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इस रोग के होने पर पौधों की ऊपर की पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं।
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पत्तियों का आकार छोटा हो जाता है।
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सही समय पर इस रोग पर नियंत्रण नहीं किया गया तो पौधों के विकास में बाधा आती है।
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पौधों में आने वाले फलों का आकार भी छोटा रह जाता है।
छोटी पत्ती रोग पर नियंत्रण के तरीके
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इस रोग को फैलने से रोकने के लिए रोग से प्रभावित छोटे पौधों को निकाल कर नष्ट कर दें।
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इस रोग पर नियंत्रण के लिए 15 लीटर पानी में 5 मिलीलीटर देहात हॉक मिला कर छिड़काव करें।
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इसके अलावा आप 15 लीटर पानी में 5 ग्राम ग्रीनतारा मिला कर छिड़काव कर सकते हैं।
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इसके साथ ही 15 लीटर पानी में 10 ग्राम एजी वाइटल एवं 30 मिलीलीटर विरोनिल मिला कर भी छिड़काव करें।
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जैविक विधि से इस रोग पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ भूमि में 250 ग्राम बवेरिया बेसियाना पाउडर का बुरकाव करें।
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जैविक विधि से करें बैंगन की खेती करने की विधि यहां से देखें।
हमें उम्मीद है इस पोस्ट में बताई गई दवाओं के प्रयोग से आप निश्चित ही छोटी पत्ती रोग पर नियंत्रण प्राप्त कर सकते हैं। यदि आपको इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो हमारे पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ साझा भी करें। जिससे अधिक से अधिक किसान मित्र इस जानकारी का लाभ उठाते हुए बैंगन की फसल को छोटी पत्ती रोग से बचा सकें। जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।
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