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बैंगन एवं टमाटर की जड़ों में हो रही है गांठें, जानें कारण एवं बचाव के तरीके
बैंगन एवं टमाटर की जड़ों में हो रही है गांठें, जानें कारण एवं बचाव के तरीके
बैंगन और टमाटर की जड़ों में गांठों का होना सूत्रकृमि (निमेटोड) जीव के प्रभाव को दिखाता है। यह जीव धागे के समान बहुत ही पतले होते हैं, जिन्हें खुली आंखों से देख पाना संभव नहीं है। सूत्रकृमि का प्रकोप ज्यादातर सब्जियों की फसल पर देखने को मिलता है। यह जीव पौधों की जड़ों को अपना भोजन बनाते हैं जिससे पौधा मिट्टी से अपना भोजन ग्रहण नहीं कर पाता है और सूख कर मर जाता है।
सब्जियों की फसल के अलावा सूत्रकृमि गेहूं और धान की फसल को भी प्रभावित करते हैं, भारत में सूत्रकृमि का प्रभाव मुख्यतः हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश के उत्तरी क्षेत्रों में देखने को मिलता है। अनाज और सब्जियों की फसल में होने वाली यह एक गंभीर समस्या है, इसके नियंत्रण के उपाय आप यहां देख सकते हैं।
क्या है सूत्रकृमि?
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सूत्रकृमी एक संक्रमित जीव है, जो जड़, पानी और हवा के द्वारा एक खेत से दूसरे खेत कर फैलता है। विश्व में इस सूत्रकृमि की 90 से अधिक प्रजातियां उपलब्ध हैं, जो 20 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड तक के तापमान पर तेजी से वृद्धि करती हैं।
फसल में सूत्रकृमि जीव से होने वाले नुकसान
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पत्तियां पीली पड़ने लगती है।
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पौधों में फूल और फल देर से लगते हैं।
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पौधे मुरझाने लगते हैं।
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जड़ों पर गांठ बनने लगती हैं।
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पौधों की वृद्धि नहीं हो पाती है।
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फलों का आकार छोटा रह जाता है और गुणवत्ता में भी कमी होती है।
सूत्रकृमि जीव के नियंत्रण के उपाय
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गर्मियों के मौसम में खेत की गहरी जुताई करें।
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रोगग्रस्त पौधों को नष्ट कर दें।
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रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें।
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खेत को खरपतवारों से मुक्त रखें।
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सूत्रकृमि के प्रति सहनशील फसलों का फसल चक्र अपनाएं।
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कार्बोफ्यूरान या फोरेट की 3 ग्राम मात्रा का प्रयोग प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित करने के लिए करें।
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एल्डीकार्ब की 4.4 किलोग्राम का मात्रा प्रति एकड़ के अनुसार खेत में डालें।
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पौधों को 1 ग्राम कार्बोसल्फान और 1 लीटर पानी के घोल में आधे घंटे तक भिगोकर रखें और उसके बाद खेत में लगाएं।
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ऑक्सामिल की 2 से 4 क्विंटल की मात्रा एक एकड़ की दर से भूमि में मिलाएं।
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