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डॉ. प्रमोद मुरारी
कृषि विशेषयज्ञ
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बारिश में पान की फसल की देखभाल कैसे करें ?

बारिश में पान की फसल की देखभाल कैसे करें ?

परिचय

  • पान पाइपरेसी कुल का पौधा है। यह एक बहुवर्षीय, सदाबहार बेल और महत्वपूर्ण नकदी फसल है।

  • इसकी फसल में बारिश के समय अधिक देखभाल की जरूरत पड़ती है। क्योंकि बारिश से फसल खराब हो जाती है और इसके उत्पादन एवं गुणवत्ता पर असर पड़ता है। अधिक बारिश से मिट्टी में बहुत ज्यादा नमी आ जाती है। जिसके कारण फसल में फफूंद जनित रोगों का प्रकोप बहुत अधिक हो जाता है।

  • इस आर्टिक्ल के माध्यम से किसानों को पान की फसल की बारिश में देखभाल करना बताएंगे। जानने के लिए पढ़िए यह आर्टिकल।

पान की फसल में बारिश से होने वाले नुकसान

  • बारिश होने से मिट्टी में बहुत ज्यादा नमी आ जाती है। जिससे 70 फीसदी फसल तक खराब हो जाती हैं।

  • वहीं अधिकांश पत्तों में कीट व रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है।

  • तेज बारिश से पान के पत्ते फट जाते हैं और बेलें नष्ट हो जाती है।

  • अधिक बारिश से मिट्टी का कटाव हो जाता है, जिससे मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।

  • बारिश के मौसम में पत्ता गलन रोग का प्रकोप अधिक देखने को मिलता है।

  • इससे पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं।

  • बारिश से फसल में तना गलन रोग भी लग जाता है।

  • इससे बेलों के आधार पर सड़न शुरू हो जाती है।

  • पौधे मुरझाकर मर जाते हैं।

  • बारिश से बेलों में गहरे घाव हो जाते हैं, पत्ते पीले पड़ जाते हैं।

  • इससे फसल खराब हो जाती है।

पान की फसल को बारिश से कैसे बचाएं ?

  • खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था रखें।

  • फसल में 750 ग्राम जिंक, पांच किलोग्राम यूरिया को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।

  • इसके अलावा प्रति एकड़ खेत में चार-पांच बैग जिप्सम के डालें। इससे पानी जल्दी सूख जाता है।

  • आवश्यकता पड़ने पर 10 दिन के बाद दोबारा इसका छिड़काव करें।

  • मिट्टी को 0.1% कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें।

  • बुआई से पहले बोर्डो मिश्रण से भूमि का शोधन करें।

  • पोली हाउस में पान की फसल तैयार करें।

  • रोग जनित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दें।

  • संतुलित मात्रा में सिंचाई करें।

  • खरपतवार को खेत में न पनपने दें।

  • समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें।

  • जड़ सड़न रोग पर नियंत्रण करने के लिए बेविस्टिन 2 ग्राम को प्रति लीटर पानी की दर से पौधे की जड़ों पर मिट्टी के पास छिड़कें।

  • फसल पर फफूंद जनित रोग का लक्षण दिखने पर 0.5 प्रतिशत बोर्डोमिश्रण का छिडकाव करें।

  • तना गलन रोग की रोकथाम के लिए डाईथेन एम-45 का 0.5 प्रतिशत घोल का छिडकाव करें।

  • पत्ती रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर कार्बेंडाजिम मैंकोजेब की उचित मात्रा का छिडकाव करें।

  • संतुलित मात्रा में उर्वरकों का इस्तेमाल करें।

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पान की फसल से भरपूर उत्पादन कैसे प्राप्त करें ? इसके लिए अपनी फसल की जानकारी साझा करें और हमें कमेंट बाक्स में सवाल पूछें।

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