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बारिश में हरी सब्जियों की देखभाल कैसे करें?
बारिश में हरी सब्जियों की देखभाल कैसे करें?
परिचय
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मौसम के हिसाब से फसलों की देखभाल करना बहुत जरूरी है। मौसम में परिवर्तन एवं बारिश से सब्जियों में भारी नुकसान होता है।
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अधिक बारिश से खेत की मिट्टी में नमी आ जाती है। जिसके कारण बहुत से फफूंद जनित रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है।
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इन सबसे बचने के लिए किसानों को हरी सब्जियों की फसल की बारिश में देखभाल करना बताएंगे। जानने के लिए पढ़िए यह आर्टिकल।
बारिश में हरी सब्जियों की फसल में होने वाले नुकसान
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बारिश होने से मिट्टी में बहुत ज्यादा नमी आ जाती है। जिससे 50 से 70 फीसदी फसल खराब हो जाती है।
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वहीं अधिकांश पत्तों में कीट व फफूंद जनित रोगों की संभावना बढ़ जाती है।
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तेज बारिश से सब्जियों के पत्ते फट जाते हैं और पौधे एवं बेलें नष्ट हो जाती हैं।
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बारिश के मौसम में पत्ता गलन रोग का प्रकोप अधिक देखने को मिलता है।
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इससे पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं।
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बारिश से सब्जियों में तना गलन रोग भी लग जाता है।
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इससे बेल एवं पेड़ों के आधार पर सड़न शुरू हो जाती है।
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पौधे मुरझाकर मर जाते हैं।
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बारिश से बेल एवं पौधों के तनों पर गहरे घाव हो जाते हैं, पत्ते पीले पड़ जाते हैं।
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इससे फसल खराब हो जाती है।
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अधिक बारिश से मिट्टी का कटाव हो जाता है, जिससे मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।
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इससे फसल की पैदावार एवं गुणवत्ता पर असर पड़ता है।
हरी सब्जियों की फसल को बारिश से कैसे बचाएं ?
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खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था रखें।
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फसल में 750 ग्राम जिंक, पांच किलोग्राम यूरिया को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें।
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इसके अलावा प्रति एकड़ खेत में चार-पांच बैग जिप्सम के डालें। इससे पानी जल्दी सूख जाता है।
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आवश्यकता पड़ने पर 10 दिन के बाद दोबारा इसका छिड़काव करें।
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मिट्टी को 0.1% कार्बेन्डाजिम से उपचारित करें।
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बुआई से पहले बोर्डो मिश्रण से भूमि का शोधन करें।
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पोली हाउस में सब्जियों की फसल तैयार करें।
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इस मौसम में पॉलीहाउस में उचित तापमान बनाएं रखें।
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अधिक नमी से फसल को बचाने के लिए वेंटिलेटर या पंखों का भी सहारा ले सकते हैं।
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रोग जनित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दें।
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संतुलित मात्रा में सिंचाई करें।
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खरपतवार को खेत में न पनपने दें।
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समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें।
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जड़ सड़न रोग पर नियंत्रण करने के लिए बेविस्टिन 2 ग्राम को प्रति लीटर पानी की दर से पौधे की जड़ों पर मिट्टी के पास छिड़कें।
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फसल पर फफूंद जनित रोग का लक्षण दिखने पर 0.5 प्रतिशत बोर्डोमिश्रण का छिडकाव करें।
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सब्जियों में इल्ली दिखाई देने पर 100 मिलीलीटर लैम्ब्डा सायलोथ्रिन 4.6% और क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 9.3% zc दवा को 200 लीटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ छिड़काव करें।
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तना गलन रोग की रोकथाम के लिए डाईथेन एम-45 का 0.5 प्रतिशत घोल का छिडकाव करें।
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पत्ती रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर कार्बेंडाजिम मैंकोजेब की उचित मात्रा का छिडकाव करें।
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सब्जियों में अच्छी बढ़वार के लिए 400 मिलीलीटर सीवीड एक्सट्रेक्ट या 100 ग्राम ह्यूमिक एसिड प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें।
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संतुलित मात्रा में उर्वरकों का इस्तेमाल करें।
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